विपक्ष को NRC में वोटबैंक दिखता है, भाजपा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अहम: शाह
नयी दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज विपक्षी दलों से बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की और कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पूरी तरह लागू किया जाएगा क्योंकि उनकी पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीयों के अधिकारों के साथ खड़ी है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की आलोचना खारिज करते हुए शाह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान करने पर केंद्रित एनआरसी की प्रक्रिया 2005 में शुरु हुई थी जब संप्रग सत्ता में था लेकिन उस सरकार में ‘अवैध बांग्लादेशियों को निकाल बाहर करने’ का साहस नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘इसे (एनआरसी को) पूरी तरह लागू किया जाएगा।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को निशाने पर लेते हुए शाह ने कहा कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए अवैध प्रवासियों में ‘वोटबैंक’ दिखता है लेकिन उनकी पार्टी (भाजपा) देश की सुरक्षा और उसके नागरिकों के अधिकारों को देख रही है। ममता बनर्जी ने एनआरसी के संदर्भ में भाजपा पर ‘बांटो और राज करो’ का आरोप लगाया है। शाह ने कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को चिंतिंत नहीं होना चाहिए और असम में रह रहे अन्य राज्य के लोगों को छुआ नहीं जाएगा तथा एनआरसी को दृढता एवं निष्पक्षता के साथ लागू किया जाएगा।
भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया है जो चुनावी साल में विपक्षी दलों को घेरने के लिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के उसके व्यापक एजेंडे में फिट बैठता है। शाह ने भाजपा को भारतीयों के अधिकारों के पक्ष में तथा विपक्ष को अवैध बांग्लादेशियों के अधिकार के पक्ष में पेश किया है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध है। यह हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। अन्य सभी दल इस अपना रुख स्पष्ट करें।’’ उन्होंने कहा कि विपक्षी दल इस का जवाब ‘हां’ या ‘नहीं’ दें कि वे एनआरसी का समर्थन करते हैं या नहीं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एनआरसी असम समझौते की आत्मा है जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दस्तखत किये थे। यह स्पष्ट करता है कि हर एक अवैध प्रवासी की पहचान की जाएगी और उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जाएगा। लेकिन केंद्र और राज्य में आयी कई कांग्रेस सरकारों में उसे लागू करने का साहस नहीं था। उन्होंने कहा कि बाद में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में कदम रखा और मोदी सरकार ने प्रक्रिया शुरु की। शीर्ष अदालत पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि आप एनआरसी पर सवाल क्यों उठा रहे हैं? कांग्रेस ने 2005 में एनआरसी प्रक्रिया शुरु की। लेकिन आप में अवैध बांग्लादेशियों को निकाल बाहर करने का साहस नहीं था क्योंकि वोटबैंक आपके लिए महत्वपूर्ण है, न कि राष्ट्रीय सुरक्षा एवं देश के नागरिकों का अधिकार।’’ शाह ने कहा कि कांग्रेस को वोट बैंक को राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रखना चाहिए। यह बड़ी दुखद स्थिति है कि भाजपा और बीजद को छोड़कर कोई भी यह कहना मुनासिब नहीं समझता कि अवैध प्रवासियों की इस देश में कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा इस विषय पर राजनीति नहीं कर रही है, चाहे वह सत्ता में हो या विपक्ष में, उसका रुख एक सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी की अपना रूख बदलने की आदत है।
शाह ने राहुल गांधी से रूख स्पष्ट करने की मांग करते हुए पूछा कि क्या आप अपनी दादी एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यह बात भूल गए कि देश में अवैध प्रवासियों की कोई जगह नहीं है। कुछ दलों और संगठनों द्वारा उठाये गये मानवाधिकार के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय नागरिकों के अधिकारों की चिंता है जिनके संसाधन अवैध प्रवासियों द्वारा छीने जा रहे हैं। असम एनआरसी के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा मानवाधिकार का विषय उठाने के संबंध में शाह ने कहा कि एनआरसी देश के नागरिकों के मानवाधिकारों के लिये है । क्या देश के नागरिकों का कोई मानवाधिकार नहीं होता है ?
उन्होंने ममता बनर्जी की उनकी इस चेतावनी को लेकर निंदा की कि गृह युद्ध और खून-खराबा छिड़ सकता है। शाह ने पूछा, ‘‘उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस प्रकार के गृहयुद्ध की बात कर रही हैं।’’ पश्चिम बंगाल में एनआरसी की प्रदेश भाजपा नेताओं की मांग के बारे में पूछे जाने पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एनआरसी फिलहाल असम तक केंद्रित है और पार्टी उपयुक्त समय पर ऐसे मुद्दे पर रुख तय करेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने अक्सर पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे की बात की है और उसे उम्मीद है कि यह राज्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा,जहां शाह अगले साल 42 लोकसभा सीटों में 22 पर जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
शाह ने कहा कि उन्होंने मीडिया के मार्फत एनआरसी पर अपना विचार रखने का फैसला किया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने उन्हें राज्यसभा में बोलने नहीं दिया । कांग्रेस पर शाह के प्रहार के चलते विपक्ष ने शोरशराब किया और सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।
उन्होंने कहा कि कुछ दलों का यह दावा कि यह अंतर-राज्यीय विवाद बन जाएगा, भ्रम फैलाने का प्रयास है। शाह ने कहा कि एनआरसी ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि असम में रह रहे 40 लाख लोग भारतीय नागरिक नहीं है लेकिन लेाग अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं और उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत उनका सत्यापन किया जाएगा।