विश्वास मत से पहले कर्नाटक विधानसभा से कुमारस्वामी और उनके विधायक नदारद, अध्यक्ष ने जताया खेद
बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मंगलवार को मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के विश्वास प्रस्ताव पर चौथे दिन की चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों के गैर हाजिर होने पर खेद प्रकट किया। सदन में मंगलवार को सत्ता पक्ष के इका दुका विधायक ही सदन में नजर आए जबकि विश्वास प्रस्ताव पर आज मतदान होना है। कुमार ने मंत्री प्रियांक खड़गे से पूछा, ‘‘यह अध्यक्ष के भविष्य की बात है विधानसभा के।’’ उन्होंने खड़गे को कहा, ‘‘ बहुमत तो छोड़िए आप अपनी विश्वसनीयता भी खो देंगे।’’
गठबंधन के विधायकों के अनुपस्थित होने से भाजपा को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार का खुद ही पर्दाफाश हो गया और साथ ही पूछा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक कहा हैं? उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा, ‘‘ बहुमत ना होने के बावजूद आप बेशर्मी से सत्ता में बने हुए हैं। आपको शर्म आनी चाहिए।’’
उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि यह और कुछ नहीं बस कार्यवाही को विलंबित करने की रणनीति है।
विपक्षी दल के ही बासवाराज बोम्मई ने उसे (सरकार को) ‘‘शून्य सरकार’’ बताया। अध्यक्ष ने सोमवार रात कार्यवाही स्थगित करने से पहले स्पष्ट कर दिया था कि मंगलवार को शाम छह बजे तक विश्वास प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और इसे किसी परिस्थिति में टाला नहीं जाएगा।
कुमारस्वामी और उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर कार्यवाही की समाप्ति के समय सदन में मौजूद नहीं थे। उस समय कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा, ‘‘100 प्रतिशत .. मतदान कल हो सकता है।’’ कार्यवाही लंबी चलने से क्षुब्ध प्रतीत हो रहे अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि मंगलवार को शाम 4 बजे तक चर्चा समाप्त हो जाएगी और शाम 6 बजे तक मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
मुंबई के एक होटल में ठहरे बागी विधायकों को चेतावनी देते हुए वरिष्ठ मंत्री डी. के. शिवकुमार ने उन्हें याद दिलाया कि यदि नोटिस के जवाब में वे मंगलवार को विधानसभाध्यक्ष के सामने नहीं आए तो उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 विधायक हैं जिनमें कांग्रेस के 78, जदएस के 37, बसपा के एक और एक नामित हैं।
भाजपा के पास दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 225 सदस्यीय विधानसभा में 107 विधायक हैं। यदि 15 विधायकों (कांग्रेस के 12 और जदएस के 3) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है या वे मत-विभाजन से दूर रहते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन के पास संख्याबल 101 रह जाएगा और सरकार अल्पमत में आ जाएगी।