संसद में आज: किशोर न्याय संशोधन विधेयक लोकसभा से पास, GNCTD बिल पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

नयी दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें बच्चों से जुड़ेमामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त शक्तियां देकर सशक्त बनाया गया है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि बाल कल्याण समितियों को ज्यादा ताकत दी जा रही है। इससे बच्चों का बेहतर ढंग से संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बाल देखरेख संस्थानों एवं शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वालों की पृष्ठभूमि की जांच होगी। उन्होंने कहा कि कुछ सांस्थानों में इसलिये बच्चों को रखे जा रहे हैं क्योंकि अनुदान मिलता है। बच्चों के पुनर्वास में इनकी कम रुचि है। बच्चों के संरक्षण के कदमों का उल्लेख करते हुए ईरानी ने कहा कि बाल पोर्नोग्राफी से जुड़े मामले में 160 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण योजना के तहत 2009-10 में 60 करोड़ रूपये दिये गए जबकि 2012-13 में 270 करोड़ रूपये और 2013-14 में 300 करोड़ रूपये दिये गए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद इस बजट में 1500 करोड़ रूपये आवंटित किये गए हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी प्रदेश की सरकार हो और बाल संरक्षण की दृष्टि से उनकी ओर से जो भी सहायता अपेक्षित हो, हम सहायता करने को संकल्पबद्ध हैं।’’ मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी। जिला मजिस्ट्रेट पर अधिक काम का बोझ पड़ने के संबंध में कुछ सदस्यों की चिंताओं को निर्मूल बताते हुए ईरानी ने कहा कि वर्तमान समय में भी जिला मजिस्ट्रेट पर यह जिम्मेदारी है कि वे बाल कल्याण से जुड़े विषयों की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि आज के संशोधन के बाद जिला मजिस्ट्रेट की समीक्षा का कार्य आगे बढ़ते हुए समन्वय स्थापित करने का भी हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट की प्राथमिकता की सूची में इन विषयों को लागू करने की बात आ जायेगी। स्मृति ईरानी ने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया की विवेचना करने पर यह बात सामने आई कि परिवार के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा रिपोर्ट तैयार करने का नियत समय 30 दिन है लेकिन वर्तमान में 78 दिन लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो साल से अधिक आयु के बच्चों के संबंध में कागजी काम पूरा करने के लिये बाल कल्याण समितियों के लिये नियत समय 120 दिन है लेकिन 265 दिन लग रहा है। ईरानी ने कहा, ‘‘देश के सात हजार से अधिक बाल संरक्षण गृहों का मुआयना किया गया। इन बाल गृहों के ऑडिट में कुछ गंभीर कमियां पाई गईं। 29 फीसदी बाल गृहों का तो पंजीकृत भी नहीं कराया गया था….कई बार बाल गृहों से यौन शोषण की शिकायतें आईं। इस स्थिति को देखते हुए यह संशोधन विधेयक लाया गया है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘इन संशोधन का लक्ष्य यह है कि हम सतर्क रहें ताकि प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से बच्चों का संरक्षण किया जा सके।’’ उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के माध्यम से किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों के संरक्षण के ढांचे को जिलावार एवं प्रदेशवार मजबूत बनाने के उपाए किये गए हैं। इन प्रस्तावित संशोधनों में जे जे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के मुद्दे को जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अधिकृत किया गया है ताकि ऐसे मामलों का तेजी से निपटारा किया जा सके और जवाबदेही तय की जा सके। इसके तहत जिला अधिकारियों को कानून के तहत निर्बाध अनुपालन सुनिश्चित करने और कठिनाई में पड़े बच्चों के लिये सुसंगत प्रयास करने के लिये अधिकार सम्पन्न किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट को अधिनियम के तहत और अधिक सशक्त बनाते हुए कानून के सुचारू क्रियान्यवन का भी अधिकार दिया गया है जिससे संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास किए जा सके। सीडब्ल्यूसी सदस्यों की नियुक्ति संबंधी योग्यता मानदंडों को परिभाषित करने और पहले से अनिर्धारित अपराधों को गंभीर अपराध के रूप में वर्गीकृत करने की भी बात विधेयक के प्रस्ताव में कही गयी है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधेयक को लेकर

कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने बुधवार को राज्यसभा में ‘‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021’’ का भारी विरोध करते हुए हंगामा किया जिससे सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुयी। विपक्षी सदस्य आसन के समीप आ गए और उन्होंने सरकार तथा विधेयक के खिलाफ नारे लगाए। सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा पूरी होने के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह यह असंवैधानिक है। उन्होंने इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनकर उपराज्यपाल को देना चाहती हैं। इतना ही नहीं सरकार उपराज्यपाल को ही सरकार बनाना चाहती है। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में चुने हुए प्रतिनिधियों की क्या आवश्यकता है। इस विधेयक को उन्होंने संविधान के खिलाफ बताया और कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन में कोई भी बदलाव संविधान संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है लेकिन सरकार इसे एक सामान्य संशोधन विधेयक के रुप में लेकर आई है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पिछले दरवाजे से छद्म रूप से दिल्ली सरकार चलाने के लिए सभी कार्यकारी शक्तियां अपने पास रखना चाहती है। लोकतंत्र के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ पंक्तियां उद्घृत करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। आप सदस्य संजय सिंह ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि भाजपा दो बार दिल्ली विधानसभा चुनाव हार गयी थी। इसलिए केंद्र सरकार यह विधेयक लायी है। उन्होंने कहा कि विधेयक का विरोध कर वह दिल्ली के दो करोड़ लोगों के लिए न्याय मांग रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि मूल कानून में संशोधन किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं है। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शाम करीब छह बजे दो बार 10-10 मिनट के लिए स्थगित की गयी।

राज्यसभा ने वित्त विधेयक को चर्चा के बाद लौटाया

राज्यसभा ने बुधवार को वित्त विधेयक 2021-22 को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा दिया और इसी के साथ संसद से आम बजट को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी हो गयी। लोकसभा ने वित्त विधेयक को मंगलवार को ही मंजूरी दे दी थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च सदन में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सीमा शुल्क ढांचे को तर्कसंगत बनाया जायेगा ताकि घरेलू कारोबारियों को, खासतौर से एमएसएमई श्रेणी के उद्यमों को सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कर आधार को भी व्यापक बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एक निवेश ग्रेड रेटिंग है और अच्छे निवेश के चलते उन्हें नहीं लगता कि यह घटेगी। सीतारमण ने कहा कि कर व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए हैं जिनका मकसद कारोबार करने की सुगमता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क ढांचे को तर्कसंगत बनाया जायेगा ताकि घरेलू कारोबारियों को, खासतौर से एमएसएमई श्रेणी के उद्यमों को सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उठाए गए कदमों का ही नतीजा है कि कोरोना संकट के दौरान आर्थिक मोर्चे पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को आठ माह तक मुफ्त राशन दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ी बात है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां घट कर मार्च 2020 में 8.99 लाख करोड़ रुपये रह गईं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के शासनकाल में अर्थव्यवस्था का समुचित तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.5 फीसदी थी जो 2009 से 2014 के दौरान 6.7 फीसदी थी। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने एक फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2021-22 पेश किया था।

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