सिसोदिया केस में जल्द ED की एंट्री! CBI ने भेजी फाइल, मनी ट्रांजेक्शन खंगाल रही एजेंसी
दिल्ली आबकारी नीति लागू करने के दौरान भ्रष्टाचार के कथित मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के दायरे में आए मनीष सिसोदिया की मुश्किलें अब और बढ़ सकती हैं. सिसोदिया के केस में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री भी हो सकती है. जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने ईडी से सिसोदिया के केस की फाइल साझा की है. एजेंसी मनी ट्रांजेक्शन को खंगाल रही है. इस सब के बीच आम आदमी पार्टी लगातार केंद्र पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग का आरोप लगा रही है.
इधर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को दावा किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. उन्होंने इस कदम को एक नौटंकी करार देते हुए कहा कि जांच एजेंसी को उनके आवास पर छापे के दौरान कुछ भी नहीं मिला. सिसोदिया ने कहा कि वह दिल्ली में खुलेआम घूम रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि क्या वह उन्हें ढूंढ़ नहीं पा रहे. इधर केजरीवाल ने भी बेरोज़गारी और महंगाई और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला.
रोज़ सुबह उठकर CBI ED का खेल शुरू कर देते हैं: केजरीवाल
केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि ऐसे समय जब आम इंसान महंगाई से जूझ रहा है, करोड़ों की संख्या में युवा बेरोज़गार हैं, केंद्र सरकार को सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर बेरोज़गारी और महंगाई से लड़ना चाहिए. उसकी बजाय ये पूरे देश से लड़ रहे हैं. रोज़ सुबह उठकर CBI ED का खेल शुरू कर देते हैं. ऐसे देश कैसे तरक़्क़ी करेगा? वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं का मुख्य साजिशकर्ता करार देने वाले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बयान पर पलटवार करते हुए आप ने कहा कि देश देख रहा है कि किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली सरकार को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार सौंप सकती है रिपोर्ट
इस बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं को लेकर जारी सीबीआई जांच और छापेमारी के बीच एक समिति जल्द ही शहर के गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में शराब की दुकानों के मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. इस पांच सदस्यीय समिति का गठन अप्रैल में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने उच्च न्यायालय के आदेश पर शहर में अधिसूचित और गैर-अधिसूचित निगम वार्ड की सूची तैयार करने के लिए किया था.