सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा: मुलायम, मायावती और अखिलेश के राज में हुई अनियमितताएं

इलाहाबाद: यूपी में मुलायम, मायावती और अखिलेश राज में सूबे की पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों पर तैयार हुई सीएजी रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर लापरवाही व वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है. इस बारे में तैयार की गई सीएजी रिपोर्ट में पैसों के खर्च में पारदर्शिता की कमी, केन्द्र व राज्य से मिली रकम को पूरी तरह खर्च नहीं किये जाने साथ ही टेंडर प्रक्रिया में मनमानी करते हुए नियमों की अनदेखी किये जाने की भी बात सामने आई है. रिपोर्ट में सरकारी पैसों को मनमाने तरीके से खर्च किये जाने के साथ ही रिकार्ड को ठीक से न रखने और सरकारी रकम के लेन-देन में गड़बड़ियों का भी खुलासा हुआ है. सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट को लेकर बेहद चिन्ताजनक स्थिति सामने आयी है. ज़्यादातर ऑडिट साल 2004 से 2016 के बीच का है. यूपी विधानसभा में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को लेकर मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में बड़े वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट को इलाहाबाद में यूपी के प्रिंसिपल एकाउंटेंट जनरल पीके कटारिया ने मीडिया के सामने पेश किया. शहरी स्थानीय निकायों की वर्ष 2011 से 2016 की अवधि को लेकर पेश की गई रिपोर्ट में भी कई तथ्य उजागर हुए हैं. खास तौर पर शहरी स्थानीय निकायों में भी मेन्टीनेंस रिकार्ड्स की कमी एक बड़ा गम्भीर मामला सामने आया है. वहीं रोड रजिस्टर, पेमेन्ट बुक, कान्ट्रैक्ट बाण्ड रजिस्टर और वर्क्स रजिस्टर में भी सीएजी ने कई कमियां अपनी रिपोर्ट में बतायी हैं. इसके साथ ही प्रदेश के 36 शहरी निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट को लेकर भी ऑडिट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. प्रदेश के 636 शहरी निकायों में से 604 निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट की कोई सुविधा ही नहीं है. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के लिए केवल चार से छह फीसदी बजट ही आवन्टित किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक केवल 32 निकायों में ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए थे. जिसमें से 15 प्रोजेक्ट एक ही कम्पनी को दे दिए गए जिनके काम पूरे नहीं हुए. शहरी निकायों में स्वीकृत 32 में से महज तीन प्रोजेक्ट ही पूरे हो पाये हैं.

प्रदेश के 202 पंचायती राज संस्थाओं को सैम्पल के रुप में लेकर वर्ष 2011 से लेकर 2016 की अवधि में किए गए ऑडिट में 10 जिला पंचायतों, 26 क्षेत्र पंचायतों और 166 ग्राम पंचायतों में 172.82 करोड़ की धनराशि खर्च ही नहीं की गई.

जबकि राज्य में पंचायती राज संस्थाओं को भारत सरकार से 12,765.39 करोड़ और राज्य सरकार से 17,031.94 करोड़ की धनराशि जारी की गई थी. वहीं पंचायती राज संस्थाओं के अभिलेखों के रखरखाव की स्थिति काफी खराब मिली. जिससे सीएजी को जांच में काफी परेशानी भी उठानी पड़ी. सरकारी बजट को लेकर पंचायती राज संस्थाओं में पारदर्शिता की कमी देखने को मिली है. इसके साथ ही टेण्डर में भी नियमों का उल्लंघन कर ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिए जाने का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी और जालौन में ठेकेदारों को 29.52 लाख का अनुचित लाभ दिया गया. जबकि दो क्षेत्र पंचायतों में बगैर जांच के .82 लाख का भुगतान किया गया. जिला पंचायत फतेहपुर में एक करोड़ 60 लाख का अलाभकारी व्यय का मामला भी उजागर हुआ है. बहरहाल, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को लेकर विधान मण्डल में पेश की गई सीएजी की ताजा रिपोर्ट चिन्ताजनक है. इस रिपोर्ट से यह भी साफ जाहिर हो रहा है कि निचले स्तर पर विकास के कार्यों के क्रियान्वयन में किस हद तक लापरवाही बरती जा रही है. इसके साथ ही सरकारी धन का कैसे दुरुपयोग कर वित्तीय अनियमितता बरती जा रही है. अब देखना यह है कि सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार किस तरह से अमल करती है.

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427