सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने की समय सीमा मांगी

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सरकार से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा मांगी और लोकतंत्र की बहाली के महत्व पर जोर दिया।CJI ने सरकार से पूछा, “क्या आप एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकते हैं? क्या एक केंद्र शासित प्रदेश को राज्य से अलग किया जा सकता है?”

कोर्ट ने क्या कहा?

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की समय सीमा बताने पर जोर देते हुए पूछा, “क्या आप एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकते हैं? क्या एक केंद्र शासित प्रदेश को एक राज्य से अलग किया जा सकता है? और चुनाव कब हो सकते हैं।”उन्होंने कहा, “इसका अंत होना ही चाहिए। हमें विशिष्ट समय सीमा दीजिए कि आप वास्तविक लोकतंत्र कब बहाल करेंगे? हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं।”

केंद्र सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा के लिए केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा और इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने का निर्णय अस्थायी था।उन्होंने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू-कश्मीर को फिर से एक राज्य बना दिया जाएगा और यहां केंद्र द्वारा स्थिति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, “मैंने निर्देश ले लिए हैं। निर्देश यह है कि जम्मू-कश्मीर का एक केंद्र शासित प्रदेश होना स्थायी नहीं है। मैं गुरुवार तक एक सकारात्मक बयान दूंगा, लेकिन लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा।”उन्होंने कहा, “जिला विकास परिषद के चुनावों के संदर्भ में जहां तक ​​​​लद्दाख का सवाल है, इसमें 2 इकाइयां लेह और करगिल शामिल है। लेह में चुनाव खत्म हो गए हैं और करगिल में सितंबर में चुनाव होंगे।”

केंद्र सरकार  ने कोर्ट में और क्या कहा?

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, “हमने 2 केंद्र शासित प्रदेश बनाए हैं। एक केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र के पास केवल पुलिस की शक्तियां हैं। बाकी उसके पास वो सब है, जो एक राज्य के पास होता है।”उन्होंने कहा, “यह बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन इसमें एक राज्य की सभी विशेषताएं हैं। पुलिस के अलावा हर अधिकार उसके पास है और मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि पुलिस उसके दायरे से बाहर क्यों है।”

पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने में कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं की गई है। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट की बेंच को बताया कि इसमें उचित प्रक्रिया का पालन किया गया।उन्होंने कहा, “कोई गलत काम नहीं हुआ। कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं हुई, जैसा कि दूसरे पक्ष ने आरोप लगाया है। कदम (अनुच्छेद 370 को रद्द करना) जरूरी था और उनका तर्क त्रुटिपूर्ण और समझ से परे है।”

2019 में हटाया गया था जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370

साल 2019 में केंद्र सरकार ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के उग्र विरोध के बीच जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और जम्मू और कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में विभाजित कर दिया था।इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अब केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की समय सीमा बताने को कहा है।

News Source Link:

 

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427