सुप्रीम कोर्ट में सरकार को कल बताना होगा ताज संरक्षण के लिए जिम्मेदार कौन ?
आगरा : ताजमहल संरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई होगी. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ के समाने कल (सोमवार, 29 जुलाई 2018) केंद्र और यूपी सरकार को बताना होगा कि ताज संरक्षण के लिए किस विभाग में कौन अधिकारी जिम्मेदार है? दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल संरक्षण को लेकर कड़ी नाराजगी जताते हुए केंद्र और यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वो 30 जुलाई को कोर्ट को बताए कि आख़िरकार ताज के संरक्षण के लिए केन्द्र, राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित किस विभाग में कौन अधिकारी जिम्मेदार है? क्या हम इसे सुधारेंगे?.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को ये भी आदेश दिया था कि वे इसके लिए अधिकारियों और अथॉरिटियों को नियुक्त करें, जो ताजमहल के रखरखाव का काम करेगी और ताज ट्रेपेजियम जोन को फिर से विकसित करेगी. जस्टिस लोकुर ने कहा था कि इस मामले में किसी एक अधिकारी के पास अधिकार होना चाहिए और उसी पर इसकी जवाबदेही होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगरा के डीएम की कोर्ट में पेशी के दौरान फटकार लगाते हुए कहा कि ताज के आसपास प्रदूषण फैलाने वाली अवैध इंडस्ट्री चल कही हैं, लेकिन डीएम कुछ नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा था कि विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नहीं शामिल किया गया है. ऐसे में क्या इसे सही माना जाए? कोर्ट के मुताबिक कोई भी संस्था ताज महल के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती है. हालांकि किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी, फिर चाहे इसकी जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या फिर कोई और ले.
कोर्ट ने कहा था कि अनुभव किया है कि सभी संस्थाएं ताजमहल प्रदूषण नियंत्रण मामले में अपने हाथ धो रही हैं. कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार से उन अधिकारियों और प्राधिकरण का नाम बताने को कहा है, जिन्हें ताजमहल के रखरखाव और ताज संरक्षित क्षेत्र के पुनर्विकास की जिम्मेदार सौंपी जा सके. कोर्ट के मुताबिक कोई भी संस्था ताज महल के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती है. हालांकि, किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी, फिर चाहे इसकी जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या फिर कोई और ले.बता दें कि 24 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने ताजमहल संरक्षण के लिए बन रहे विजन डॉक्यूमेंट का शुरुआती ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था. ड्राफ्ट विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि ताजमहल के आसपास के पूरे इलाके को ‘नो प्लास्टिक जोन’ घोषित किया जाए, वहां बोतलबंद पानी पर प्रतिबंध लगाया जाए. विजन डॉक्यूमेंट में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री पर बैन लगाने की भी बात की गई है. साथ ही यूपी सरकार ने कहा था कि ताजमहल के प्रदूषणकारी उद्योग हटेंगे और यमुना रिवरफ्रंट के साथ पदयात्रियों के लिए सड़क बनेगी,इससे यातायात घटेगा.