सेना के जवानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- ‘सेना के एनकाउंटर की CBI जांच से टूटेगा मनोबल’
नई दिल्ली : सेना के करीब 355 सेना अधिकारियों और जवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अधिकारियों और जवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि आंतकवाद निरोधक अभियान के दौरान हुए मुठभेड़ की पुलिस या CBI जांच सेना का मनोबल तोड़ने वाला कदम है. इससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है. अधिकारियों और जवानों की वकील एश्वर्या भाटी ने चीफ जस्टिस की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की. इसके अलावा मणिपुर एनकाउंटर मामले में मणिपुर पुलिस के 6 कमांडो ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिनके खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी. कमांडो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस लोकुर की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है जिसमें जस्टिस लोकुर ने सुनवाई के दौरान “हत्यारे” शब्द का इस्तेमाल किया था.
सेना के ऑपरेशन्स पर हो रही है CBI जांच
बेंच याचिका पर सुनवाई सोमवार को करेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिए फैसले में कहा था कि AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) वाले इलाकों में हुए मुठभेड़ की भी पुलिस या CBI जांच हो सकती है. सेना के लोगों पर भी सामान्य अदालत में मुकदमा चल सकता है. सुप्रीम कोर्ट इन दिनों मणिपुर में हुए सेना के ऑपरेशन्स की CBI जांच की निगरानी भी कर रहा है.
सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा हुए थे कोर्ट में पेश
आपको बता दें कि मणिपुर एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा कोर्ट में हुए पेश थे. सुनवाई के दौरान मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था. जस्टिस मदन बी लोकुर ने सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा से पूछा था कि क्या अभी तक सीबीआई ने कोई गिरफ्तारी की है? सीबीआई डायरेक्टर ने जवाब दिया कि अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, कुछ लोगों से पूछताछ की है, केस बहुत पुराना हो चुका है, अब सीबीआई के पास उनसे बरामद करने के लिए कुछ नहीं है. इस पर जस्टिस लोकुर ने कहा कि इसका मतलब ये हुआ कि हत्यारे मणिपुर में खुलेआम घूम रहे है, आपकी चार्जशीट के मुताबिक ये आरोपी हत्यारे है, पर इसके बावजूद आप इन्हें इम्फाल की गलियों में बेपरवाह घूमने की इजाजत दे रहे हैं. आपकी दलीलों पर जाए तो अगर कोई किसी महिला के साथ रेप को अंजाम देता है तो आप उसे गिरफ्तार नहीं करेंगे, क्योंकि आपके पास उससे बरामद करने के लिए कुछ नहीं है. सीबीआई डॉयरेक्टर ने कहा था कि वो जल्द इस पर फैसला लेंगे. सीबीआई के तफ्तीश पर सवाल उठाने के बाद हालांकि कोर्ट ने कहा था कि ये हम आपके विवेक पर छोड़ते है कि गिरफ्तारी करे या नहीं. कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होनें कोर्ट को आश्वस्त किया था कि एजेंसी जल्द से जल्द जांच को पूरी कर लेंगे.
सीबीआई को 41 केस की जांच करनी है पूरी
सीबीआई डॉयरेक्टर ने कोर्ट को बताया था कि एजेंसी को 41 केस में जांच पूरी करनी है.7 मामलों में अगस्त में चार्जशीट दायर हो जाएगी.बाकी 20 और मामलों में चार महीने के अंदर चार्जशीट दायर हो जाएगी. बाकी 14 मामलों में जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से अगली सुनवाई में आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी जहां उस दिन भी सीबीआई डायरेक्ट कोर्ट में पेश होना होगा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मणिपुर एनकाउन्टर मामले की जांच में देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआईडायरेक्टर आलोक वर्मा को समन जारी कर 30 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अलोक वर्मा को पेश होकर बताने को कहा था कि आखिरकार जांच में देरी क्यों हो रही है? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की धीमी प्रक्रिया पर नाराजगी भी जाहिर की थी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच आदेश दिया था और तय सीमा के भीतर जांच पूरा करने को कहा था. इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि वो इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट NHRC से साझा करे. NHRC ने कहा था कि सीबीआई जो भी जांच करती है हमसे साझा नहीं करती.