हड्डियों और लिगामेंट्स को कमजोर कर सकता है मस्क्यूलोस्केलेटल पेन
चोट लगने या मांसपेशियों में खिंचाव के कारण अक्सर लोगों को दर्द होता है। सामान्यतः ये दर्द मसाज और घरेलू उपायों से एक-दो दिन में ठीक हो जाता है। मगर कई बार चोट से मांसपेशियों के साथ-साथ हड्डियां भी प्रभावित हो जाती हैं, जिसके कारण होने वाला दर्द जल्दी नहीं ठीक होता है। ऐसे दर्द को मस्क्यूलोस्केलेटल पेन कहते हैं। कई बार मस्क्यूलोस्केलेटल पेन तेज होता है और कई बार सामान्य भी हो सकता है। आइए आपको बताते हैं मस्क्यूलोस्केलेटल पेन और इसके लक्षणों के बारे में।
अर्थराइटिस जैसा होता है दर्द
मस्क्यूलोस्केलेटल दर्द भी अर्थराइटिस के दर्द जैसा होता है, यानी आपको हड्डियों और जोड़ों में दर्द महसूस होता है। मगर अर्थराइटिस के दर्द और मस्क्यूलोस्केलेटल दर्द में थोड़ा अंदर होता है। आर्थराइटिस में दर्द ज्यादातर जोड़ों से शुरू होता है और आसपास के सॉफ्ट टिशूज तक जाता है। जबकि मस्क्यूलोस्केलेटल पेन न सिर्फ जोड़ों में बल्कि हड्डियों और उसके आसपास के लिगामेंट्स, सॉफ्ट टिशूज में भी होता है। मस्क्यूलोस्केलेटल पेन अक्सर उन खिलाड़ियों को होता है जो अपना वर्कआउट कम कर देते हैं।
हड्डियां और लिगामेंट्स हो जाते हैं कमजोर
अगर सामान्य दर्द को भी आप लंबे समय तक नजरअंदाज करते हैं या हर बार दर्द निवारक दवा खाकर राहत पा लेते हैं, तो सावधान हो जाएं क्योंकि ऐसी आदत आपके हड्डियों और लिगामेंट्स के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल सही इलाज न करने से हड्डियां और लिगामेंट्स धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं।
क्या हैं मस्क्यूलोस्केलेटल पेन के लक्षण
- शरीर में दर्द की शिकायत
- मांसपेशियों में खिंचाव लगना
- सुबह और शाम के समय जोड़ों में कड़ापन लगना
- काम करने या सामान उठाने में मांसपेशियों में दर्द
- हड्डियों में दर्द महसूस होना
- दर्द के कारण रात भर नींद न आना
क्या है मस्क्यूलोस्केलेटल दर्द का कारण
- कोई शारीरिक चोट
- खेल-कूद के कारण मांसपेशियों में खिंचाव
- मूवमेंट्स, फ्रैक्चर, स्प्रेन, डिस्लोकेशन
- बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहना
- गलत पोश्चर में लेटना या बैठना
- हड्डियों का रोग होने पर भी ऐसा दर्द हो सकता है।
मस्क्यूलोस्केलेटल दर्द का उपचार
मस्क्यूलोस्केलेटल दर्द अगर सामान्य है तो दर्द निवारक तेल के मसाज और गर्म मसाज या कुछ एक्सरसाइज से ठीक हो जाता है। अगर चोट गंभीर है या दर्द तेज है, तो दवाएं, फिजिकल थैरेपी, इंजेक्शन, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन डीकम्प्रेशन, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर से इसे ठीक किया जाता है। कई बार दर्द सिर्फ फिजिकल एक्सरसाइज या कम समय के लिए दवाएं लेकर भी ठीक हो सकता है।