हरिद्वार कुंभ में दिखेगा कोरोनावायरस महामारी का असर, पास के जरिए श्रद्धालुओं को मिलेगा प्रवेश
कोरोनावायरस का असर धार्मिक आयोजनों पर भी गंभीर रूप से पड़ने वाला है। अगले साल हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ को लेकर उत्तराखंड सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। कुंभ मेले में सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ रखने के लिए तरह-तरह के प्लान बनाए जा रहे है। स्वयं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इसको लेकर सक्रिय है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात का भी ऐलान कर दिया है कि अगले साल हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में आने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित रखा जाएगा और पास के माध्यम से ही श्रद्धालुओं को एंट्री दी जाएगी। रावत ने यहां संवाददाताओं से आनलाइन बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस आयोजन में आने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित किया जायेगा और इसलिये इसमें हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं को पास जारी किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि साधु संतों के साथ उन्होंने इस विषय में चर्चा की है और कोरोना वायरस महामारी के कारण संख्या सीमित रख कुम्भ मेले के आयोजन को छोटा करने के विचार पर वह समहत हो गये हैं। रावत ने कहा कि कुम्भ मेले में संख्या सीमित रखने के लिए जरूरी है कि श्रद्धालुओं को पास के आधार पर ही इसमें प्रवेश की अनुमति दी जाए। कुम्भ मेले के इतिहास में यह पहला मौका होगा कि इस धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये श्रद्धालुओं को पास जारी किये जायेंगे। दुनिया भर में आयोजित होने वाले मेलों में यह सबसे बड़ा है। मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के साढ़े तीन साल पूरा होने के अवसर पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चारधाम सभी मौसम में चालू रहने वालीसड़क की चौड़ाई की सीमा शीर्ष अदालत ने साढ़े पांच मीटर तय कर दी है जो रणनीतिक दृष्टि से ठीक नहीं है।
रावत ने कहा कि रणनीतिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से साढ़े पांच मीटर चौड़ी सड़क से काम नहीं चलेगा क्योंकि इस सड़क को पहाड़ी पर स्थित कई सीमाई जिलों से होकर गुजरना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सीमित चौड़ाई वाली सड़क पर सैनिकों की सुचारू तरीके से आवाजाही संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया है और चौड़ी सड़क की जरूरत पर जोर दिया है। रावत ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधक बोर्ड के गठन को पिछले साढ़े तीन साल में उठाया गया सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि गैंरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर हमने यह साबित कर दिया है कि यह निर्णय करने वाली सरकार हैं और लंबे समय से लंबित मामलों के समाधान में हम सक्षम हैं। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पिछले साढ़े तीन साल में हमने विकास की गति तेज की है और भ्रष्टाचार पर नकेल कसी है और लोगों को पारदर्शी एवं स्वच्छ सरकार दी है।