हर चीज आपको कुछ सीखाती है और इसका अपना मजा है-विक्की कौशल
बॉलीवुड एक्ट्रर विक्की कौशल (Vicky Kaushal) किसी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्मे दी हैं. एक्ट्रेर इन दिनों अपनी फिल्म ‘सरदार उधम’ की सफलता को एन्जॉय कर रहे हैं. हर कोई उनकी एक्टिंग स्किल की तारीफ कर रहा है. फिल्म को ऑडियंस के साथ क्रिटिक्स की भी सराहना मिली है.
विक्की ने अपने संघर्ष के दिनों में बात करते हुए बताया कि, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 2009 से की है. उस समय सिर्फ ये जानते थे कि एक्टिंग करनी है लेकिन कैसे करनी है इसके बारे में कुछ नहीं जानते थे. इसके लिए सबसे पहले एक्टिंग स्कूल में भर्ती लिया ताकि वो सुनिश्चित हो जाए कि उन्हें यही करना है. इसके बाद अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में एडिशनल डायरेक्टर का काम किया, जो अपने आप में एक्टिंग स्कूल है. वहां उन्होंने फिल्म बनाने के बेसिक चीजें सीखी और सेट पर अलग- अलग एक्टर्स से बात करते थे. इसके बाद उन्होंने 3 से 4 साल तक थिएटर में एक्टिंग की.
उन्होंने बताया कि एक्टिंग के साथ बैक स्टेज और प्रोडक्शन में भी काम किया और साथ – साथ फिल्मों के लिए ऑडिशन भी देना शुरु कर दिया था. जब आप ऑडिशन देते हैं तब पता चलता है कि आप कितने पानी में हो. क्योंकि आपका कॉम्पटिशन हजारों लोगों से होता है जो सेम जॉब चाहते हैं. हर सुबह उठकर हजारों के बीच में खड़ा होना. जहां आपसे कई प्रतिभाशाली लोग मौजूद हैं. यहां तक की रोत को सोने से पहले खुद को कैसे बेहतर कर सकते हैं इसके बारे में सोचना.
उन्होंने कहा लोगों को लगता है कि ये तो आसानी से हो गया. ऐसा नहीं है, अगर मैंने 10 ऑडिशन क्रेक किया है तो 1000 ऑडिशन में रिजेक्ट किया गया हूं. हर चीज आपको कुछ सीखाती है और इसका अपना मजा है. कौशल खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें करियर में आगे बढ़ने का मौका मिला. एक्टर ने इसका श्रेय उन लोगों को दिया है जिन्होंने उन पर विश्वास दिखाया और उनके काम को दिखाने का अवसर दिया.
विक्की ने कहा कि जब लोग उन्हें रिजेक्ट करते थे तो दुखी हो जाते थे, लेकिन उन्हें पता था कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है. एक्टर ने कहा, ”मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था .. मुझे पता था कि मेरे पास कोई सुरक्षा नहीं है और अगर मैं यहां से गिरता हूं तो सीधे जमीन पर हूं क्योंकि मेरे पास कुछ नहीं है”. उन्होंने आगे कहा, ”जब आपके पास प्लान बी नहीं होता है तो आपको ताकत मिलती है और कभी- कभी आप संतुष्ट हो जाते हैं कि चलो ये नहीं तो ये सही. ऐसे में अगर आप अपना 100 प्रतिशत देते हैं तो उससे ज्यादा देने की कोशिश करते हैं.”