हर वक्त मोदी को खलनायक की तरह पेश करने से कुछ हासिल नहीं होगा: जयराम रमेश
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर समय खलनायक की तरह पेश करने से कुछ नहीं हासिल होने वाला है. उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल पूरी तरह नकारात्मक गाथा नहीं है और राजनीतिक दलों को उनके अच्छे काम का महत्व भी स्वीकार करना चाहिए. जयराम रमेश ने यह बातें दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान कहीं.
राजनीतिक विश्लेषक कपिल सतीश कोमीरेड्डी की किताब ‘मालेवॉलेंट रिपब्लिक : ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द न्यू इंडिया’ का विमोचन करते हुए जयराम रमेश ने कहा, ‘मोदी ऐसी भाषा में बात करते हैं जो उन्हें लोगों से जोड़ती है. जब तक हम यह नहीं मान लेंगे कि वह ऐसे काम कर रहे हैं जिन्हें जनता सराह रही है और जो पहले नहीं किए गए, तब तक हम इस व्यक्ति (मोदी) का मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’ उन्होंने राजनीतिक दलों को आगाह करते हुए कहा, ‘अगर आप हर समय नरेंद्र मोदी को खलनायक की तरह पेश करते रहेंगे तो उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’ उन्होंने कहा कि यही वक्त है कि हम उस काम के महत्व को समझे जो 2014 से 2019 के बीच मोदी ने किया और जिसके कारण वह सत्ता में लौटे.
अपनी बात को साबित करने के लिए जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूजे) का उदाहरण दिया कि वह कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सफल साबित हुई. उन्होंने कहा, ‘साल 2019 के राजनीतिक विमर्श में हम सभी ने उनकी एक या दो योजनाओं का मजाक उड़ाया, लेकिन सभी चुनावी अध्ययनों में यह सामने आया कि पीएमयूजे ऐसी योजना रही जो उन्हें करोड़ों महिलाओं से जोड़ पायी. इसने उन्हें ऐसा राजनीतिक समर्थन दिया जो उनके पास 2014 में नहीं था.’ जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘हमने पूरे चुनाव अभियान के दौरान किसानों की हालत के बारे में बात की, लोगों ने माना कि किसान संकट में हैं. किंतु उन्होंने इसके लिए मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया. आपने देखा कि उसके बाद चुनाव नतीजों में क्या हुआ. आपको समझना पड़ेगा कि वह कैसे इतने स्वीकार्य बने.’
मनमोहन सिंह सरकार में ग्रामीण विकास और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय संभालने वाले जयराम रमेश ने अपने वक्तव्य के बाद यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी प्रधानमंत्री की सराहना करने के लिए ऐसा नहीं कह रहे है. उन्होंने कहा कि मेरे ऐसा कहना का मकसद सिर्फ यह है कि राजनीतिक वर्ग कम से कम उन बातों को माने जो मोदी शासन में लेकर आए, खासतौर से ‘शासन के अर्थशास्त्र’ के संदर्भ में.