बिहार के मोतिहारी में जहरीली शराब से 16 लोगों की मौत
Bihar: बिहार के मोतिहारी जिले में जहरीली शराब पीने से कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही 25 से अधिक लोगों का गंभीर अवस्था में अस्पताल में इलाज चल रहा है. मामले को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि मोतिहारी के लक्ष्मीपुर पहाड़पुर, हरसिद्धि में कुछ लोगों ने कल शराब पी थी जिसके बाद उनमें से कई की हालत बिगड़ने लगी और उनमें से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया. बाद में अस्पताल में कई ने दम तोड़ दिया.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें से कई मजदूर हैं जो कल शाम गेहूं की कटाई के बाद शराब पी थी. इसके बाद थोड़ी देर में ही इनकी हालत बिगड़ने लगी. मोतिहारी सदर अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने बताया कि मरीजों ने शराब पीने की बात खुद कबूली है. बिहार पुलिस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जांच के दौरान शराब पीने की बात सामने आई है. जांच जारी है. मामले से जुड़े लोगों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा.
कच्ची यानी देसी शराब को बनाने में महुआ के फूल, गन्ने का रस, चीन, जौ, मकई, आलू, चावल और सड़े हुए संतरे का प्रयोग किया जाता है. ये सभी स्टार्च वाली चीजें होती हैं और इनमें ईस्ट मिलाकर इसका फर्मेंटेशन कराया जाता है.
इस प्रॉसेस के दौरान इसमें ऑक्सीटॉक्सिन का प्रयोग होता है. इसके अलावा नौसादर, बेसरमबेल की पत्तियां और यूरिया डाली जाती है. इसे भट्टी पर चढ़ाया जाता है और उबाल से तैयार होने वाली भाप से शराब बनती है. इसके बाद इसमें मिलाया जाता है मेथेनॉल. यहीं से इसमें जहरीला असर आना शुरू होता है.
मेथेनॉल मिलाने के बाद फर्मेंटेशन की प्रॉसेस पूरी होने पर एथिल अल्कोहल वाली शराब मेथिल अल्कोहल में तब्दील हो जाती है. यही मेथिल अल्कोहल ही शराब को जहरीला बनाता है.
सारा खेल शरीर में मेथिल अल्कोहल के पहुंचने के बाद होता है. जब यह शरीर में पहुंचता है तो फार्मिक एसिड जहर में बदल जाता है. यही शराब पीने वालों के दिमाग पर बुरा असर होता है. इसका रिएक्शन तेजी से होता है और शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद करने लगते हैं. हालांकि एक से दूसरे इंसान में इस प्रक्रिया का असर जल्दी या देर में दिख सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में मौत होती है या उन्हें दिखना बंद हो जाता है.
बिहार में शराब बंदी के बावजूद राज्य में कच्ची शराब बनाई जा रही है. शराबबंदी के कारण इसकी मांग बढ़ी है. नशे के लिए कई बार लोग अपनी जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे कहता है कि बिहार में करीब 15 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जो शराबबंदी के बावजूद इसे रोजाना पी रहे हैं.
पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब लोगों की मौत हुई, लेकिन अब भी यहां धड़ल्ले से शराब माफियाअें का राज कायम है. हालांकि बिहार सरकार दावा करती है कि शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है.