UPA की तुलना में NDA की राफेल डील सस्ती : CAG | जेटली ने कांग्रेस पर कसा तंज
नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने कहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के दौरानहुआ राफेल लड़ाकू विमान का सौदापूर्ववर्ती संप्रगसरकार द्वारा कीगई पेशकश की तुलना में सस्ता है. संसद में बुधवार को पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, राजग सरकार के तहतहुआ राफेल सौदापूर्ववर्ती संप्रगसरकार के दौरानइस सौदे पर हुई वार्ता पेशकश की तुलना में 2.86 प्रतिशत सस्ता है. कैग की इस रिपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ऐसा नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट भी गलत, कैग भी गलत और सिर्फ परिवारवाद ही सही है. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट से महाझूठबंधन का चेहरा बेनकाब हुआ है.
राफेल पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच जुबानी जंग तीखी हुई
राफेल मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जारी वाकयुद्ध का स्तर मंगलवार को और नीचे चला गया जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘देशद्रोह’और अनिल अंबानी के बिचौलिये के रूप में काम करने का आरोप लगाया. इस पर पलटवार करते हुए सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि उन्होंने विदेशी कंपनियों के लिए लॉबीस्ट के तौर पर काम किया.
बीजेपी नेता रवि शंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा कि गांधी परिवार का देश को ‘लूटने’का इतिहास रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ‘‘बेशर्मी और गैरजिम्मेदारी की पराकाष्ठा’’ है कि कांग्रेस अध्यक्ष ‘ईमानदार’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘कीचड़’उछाल रहे हैं.
मोदी पर ताजा हमला बोलते हुए गांधी ने 28 मार्च, 2015 को एयरबस के कार्यकारी निकोलस कैमस्की द्वारा कथित तौर पर लिखा गया ईमेल मीडिया में जारी किया. सब्जेक्ट में ‘अंबानी’लिखे इस ईमेल को तीन लोगों को भेजा गया था.
ईमेल का संदर्भ देते हुए गांधी ने दावा किया कि 2015 में मोदी के दौरे के दौरान भारत और फ्रांस द्वारा की गयी राफेल सौदे की घोषणा से पहले ही अंबानी को इसकी जानकारी थी. उन्होंने कहा कि यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि मोदी को इस काम के लिए ‘जेल भेजना’चाहिए.
राहुल गांधी को ‘झूठ की मशीन’करार देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ईमेल हेलीकॉप्टर सौदे से संदर्भित है न कि राफेल खरीद थे. उन्होंने एयरबस को भी कटघरे में खड़े करते हुए कहा कि यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार में हुए सौदों को लेकर संदेह के घेरे में है.
गांधी के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए अंबानी के रिलायंस डिफेंस ने कहा कि ईमेल में उल्लेखित ‘प्रस्तावित एमओयू’का जिक्र एयरबस हेलीकाप्टर से उसके सहयोग को लेकर किया गया है इसका लड़ाकू विमान सौदे से ‘कोई लेना-देना’नहीं है.
एयरबस पर प्रसाद द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर इसके प्रवक्ता ने कहा ‘हम जांच से जुड़े मामलों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करते. हमने अतीत में भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग किया है और आगे भी करते रहेंगे.’प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान गांधी ने दावा किया कि ईमेल से साफ है कि अंबानी फ्रांस के तत्कालीन रक्षामंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन के दफ्तर गये थे और वहां तैयार हो रहे सहमति पत्र का जिक्र किया जिस पर प्रधानमंत्री की यात्रा (फ्रांस की) के दौरान हस्ताक्षर होने वाले थे.
कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि किस तरह अंबानी को इस सौदे का पता चला और उन्होंने इसका उल्लेख फ्रांस के रक्षा मंत्री के दफ्तर में किया जबकि तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को भी इसके बारे में जानकारी नहीं थी.
गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि’यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंन है… यह देशद्रोह है और जासूस ऐसा ही करते हैं. प्रधानमंत्री एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें सौदे की जानकारी थी और उन्होंने इस बारे में अनिल अंबानी को बताया. प्रधानमंत्री अनिल अंबानी के बिचौलिये की तरह काम कर रहे हैं.’उन्होंने इस मामले की आपराधिक जांच की मांग की.
प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा ‘राहुल गांधी को यह बताना चाहिए कि उन्हें एयरबस का यह आंतरिक मेल कैसे मिला. उन्हें कौन यह भेज रहा है….‘इससे बड़ी और कोई बात नहीं सामने आ सकती कि वह विदेशी कंपनी के लाबीस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं.’
प्रसाद ने कहा कि गांधी परिवार से आने वाले पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान हुए कई संदेहास्पद रक्षा सौदों को लेकर बीजेपी के उनके साथ गंभीर मतभेद हैं, लेकिन उन पर कभी देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया गया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, उन्होंने (राहुल गांधी ने) हमारे ईमानदार प्रधानमंत्री पर आरोप लगाकर स्वयं पर कीचड़ उछाली है. हम जनता के सामने उनके झूठ का पर्दाफाश करेंगे. प्रसाद ने कहा कि संस्थानों का रुख उसके अनुरूप नहीं रहने पर उन्हें निशाना बनाना कांग्रेस की प्रवृत्ति रही है. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने विवादित लड़ाकू विमान सौदे को ‘देश के धन की पूर्वनियोजित लूट’करार दिया.
रिलायंस डिफेंस प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रस्तावित एमओयू पर चर्चा स्पष्ट रूप से एयरबस हेलीकॉप्टर और रिलायंस के बीच सहयोग पर हो रही थी. इसका 36 राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सरकार से सरकार के समझौते का कोई संबंध नहीं है.’