रॉबर्ट वाड्रा को 19 मार्च तक मिली राहत, कोर्ट ने जमानत का समय बढ़ाया
दिल्ली की एक कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शनिवार को रॉबर्ट वाड्रा की अंतरिम जमानत की अवधि को 19 मार्च तक बढ़ा दिया और निर्देश दिया कि जब कभी उनसे कहा जाए, वह जांच में शामिल हों.
एजेंसी ने दावा किया है कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे है और उनसे और पूछताछ किए जाने की जरूरत है. विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा को राहत दी और कहा कि गिरफ्तारी से दिए गए अंतरिम संरक्षण के आदेश सुनवाई की अगली तिथि तक जारी रहेंगे.
ईडी की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि वाड्रा ने मामले में सहयोग नहीं किया है. हालांकि वह जांच में शामिल हो गए हैं.
एजेंसी ने कहा कि आरोपियों से और पूछताछ किए जाने की जरूरत है और उन्हें 15 से 16 दिन का समय दिया जाए जिससे पूछताछ पूरी हो सके.
वाड्रा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने हालांकि इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वाड्रा पहले ही जांच में शामिल हो गए थे और पूछताछ के दौरान उन्होंने सहयोग किया है.
कोर्ट ने कहा, ‘वकील ने बताया है कि रॉबर्ट वाड्रा जांच में शामिल हो चुके हैं और जांच के दौरान सहयोग कर रहे हैं. वकील ने कहा है कि वाड्रा जांच में शामिल होंगे और जब कभी जांच अधिकारी जांच में शामिल होने को कहेंगे, वह शामिल होंगे और सहयोग करने को तैयार हैं. तथ्यों और परिस्थतियों के अनुसार राबर्ट वाड्रा को आदेश दिया जाता है कि जब कभी जांच अधिकारी जांच में शामिल होने को कहें, वह इसके लिए तैयार रहें.’
ईडी ने कहा कि अरोड़ा से भी और पूछताछ किए जाने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने कहा है कि मामले को 15-16 दिनों के बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है जिससे पूछताछ पूरी हो सके.’
वाड्रा ने लंदन के 12, ब्रायनस्टोन स्कॉयर में 19 लाख पाउंड कीमत की एक संपत्ति की खरीद में हुए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़े मामले में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी. संपत्ति पर मालिकाना हक कथित तौर पर वाड्रा का है.एजेंसी ने इससे पहले कहा था कि उसे लंदन में वाड्रा की विभिन्न कथित नई संपत्तियों के बारे में सूचना मिली है. इसमें 40 और 50 लाख पाउंड के दो घर, छह अन्य फ्लैट और अन्य संपत्तियां शामिल हैं.
वाड्रा ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में आरोप लगाया कि वह अवांछित, अन्यायपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण अपराधिक अभियोजन का सामना कर रहे हैं जो कि पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है और कानून के तहत निर्धारित कारणों से इतर है.याचिका में कहा गया है कि वाड्रा के कार्यालय पर सात दिसंबर,2018 को छापा मारा गया इसलिए उन्हें गंभीर आशंका है कि उनकी स्वतंत्रता को जांच एजेंसी द्वारा कमतर किया जा सकता है.