पीएम मोदी का ऐलान, इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के परिजनों को मिलेंगे 10-10 लाख
नई दिल्ली: इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के परिजनों को केंद्र सरकार मुआवजा देगी. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इराक में मारे गए सभी 39 लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए देने की घोषणा की. इससे पहले सोमवार को 39 में से 38 के शव के अवशेष विशेष विमान से वापस लाए गए और उन्हें उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया. विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने अमृतसर में संवाददाताओं को बताया कि इराक में भारतीय दूतावास के पास 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की ओर से अगवा किये गये 40 भारतीयों के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है, क्योंकि वे अवैध ट्रैवल एजेंटों के मार्फत वहां गये थे.
सिंह ने कहा कि यदि सरकार के पास इन लोगों के खतरे में फंसे होने की कोई सूचना होती तो वह उन्हें बचा लेती जैसा कि उसने 2014 में 45 से अधिक नर्सों के संदर्भ में किया था. विदेश राज्यमंत्री इराक मारे गये भारतीयों के शव के अवशेष लेकर सोमवार को अमृतसर पहुंचे थे. इन 40 भारतीय श्रमिकों में से 39 की आईएस ने हत्या कर दी थी और एक अपने आप को बांग्लादेश का मुसलमान बताकर उनकी चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा था.मारे गये 39 लोगों में 27 पंजाब के, चार हिमाचल के, छह बिहार के और दो पश्चिम बंगाल के थे. इन 39 भारतीयों में से 38 के शव के अवशेषों को लेकर विशेष विमान बगदाद से सोमवार दोपहर दो बज कर करीब 30 मिनट पर अमृतसर पहुंचा. मारे गए भारतीयों में से एक की पहचान की जानी है.
ताबूतों लेकर विमान जैसे ही हवाईअड्डे पर उतरा, मृतकों के परिजन दुखी मन से ताबूतों को देखते नजर आए. उन्होंने ने नम आंखों से उनके पार्थिव अवशेष लिए. युद्ध प्रभावित देश में मारे गए भारतीयों के अवशेष भारत लाने के लिए विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह रविवार को इराक गए थे.
पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 31 भारतीयों के पार्थिव अवशेषों को अमृतसर के श्री गुरू राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके परिजनों ने लिया. शेष के पार्थिव अवशेषों को लेकर विशेष विमान कोलकाता रवाना हुआ जहां नदिया जिले के दो व्यक्तियों के पार्थिव अवशेष उनके रिश्तेदारों को सौंपे गये. तत्पश्चात विमान बिहार के छह व्यक्तियों के पार्थिव अवशेषों को उनके परिवारों को सौंपने के लिए पटना गया प्रशासन ने परिवारों को शवों को घर तक ले जाने में मदद की.
अमृतसर में सिंह ने कहा कि यह पता लगाना संभव नहीं है कि उनकी हत्या कब की गयी लेकिन, ‘हमें बताया गया कि शायद सालभर पहले ऐसा हुआ. लेकिन यह कहना बड़ा मुश्किल है कि यह एक साल भी अधिक समय पहले हुआ या एक साल के अंदर हुआ.’ एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि मार्टर फाउंडेशन ने हमें ताबूतों को नहीं खोलने की सलाह दी.
जब उनसे पूछा गया कि कैसे उनकी हत्या की गयी तो उन्होंने कहा, ‘जब( अवशेषों) पर परीक्षण किया गया तो पाया गया कि कुछ लोगों की गोली मारकर हत्या की गयी और कुछ मामलों में यह कहना मुश्किल है कि उन्हें कैसे मार डाला गया.’
विदेश राज्यमंत्री ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय ने2014 में एक अभियान चलाया जिसमें हम कहते हैं कि किसी को भी अवैध एजेंट की सहायता से नहीं जाना चाहिए. किसी भी दूतावास के पास इन40 व्यक्तियों का कोई रिकार्ड नहीं है. वे अवैध एजेंटों के मार्फत गये. जब आप अवैध एजेंटों के जरिए जाते है तब यह पता करना मुश्किल होता है कि कोई कहां गया है.’ उन्होंने फर्जी ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया.
इस माह के शुरू में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बताया था कि आतंकी समूह आईएसआईएस ने जून2014 में इराक के मोसुल शहर में कम से कम40 भारतीयों का अपहरण कर लिया था. इनमें से एक खुद को मुस्लिम बता कर बच निकला था. सुषमा ने बताया था कि शेष 39 भारतीयों को आतंकियों ने बदूश ले जा कर उन्हें मार डाला था.