भय्यू महाराज ने कहा, राज्य मंत्री दर्जे का कोई सरकारी लाभ नहीं लूंगा
इंदौर: मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पांच धार्मिक नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. इस बीच, इन हस्तियों में शामिल आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज ने घोषणा की है कि वह राज्य मंत्री दर्जे का कोई सरकारी लाभ नहीं लेंगे. इंदौर निवासी भय्यू महाराज ने कहा, “प्रदेश सरकार ने मुझे नर्मदा नदी की रक्षा के लिये बनाई गई विशेष समिति में शामिल कर मुझ पर जो भरोसा जताया है. उस पर मैं एक आम नागरिक की तरह खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा. लेकिन मैं राज्य मंत्री के दर्जे का किसी तरह का सरकारी लाभ नहीं लूंगा.”
50 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु ने कहा, “मैंने अपने जीवन में अब तक न तो लाभ का कोई पद ग्रहण किया है, न ही किसी पद का लाभ लिया है. लिहाजा मैं राज्य मंत्री दर्जे से मिलने वाली कोई भी सरकारी सुख-सुविधा स्वीकार नहीं कर सकता.”
मध्य प्रदेश सरकार ने दिया पाच संतों को राज्यसमंत्री का दर्जा
बता दें मध्यप्रदेश सरकार ने मंगलवार को साधु-संतों को लुभाने के लिए पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था. सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव के.के. कतिया द्वारा जारी आदेश में कहा गया, ‘‘प्रदेश सरकार ने पांच विशिष्ट साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज एवं पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं.
राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ‘‘31 मार्च को प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति गठित की गई है. राज्य सरकार ने इस समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है.’’ यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा. नर्मदा सेवा यात्रा में विशेष योगदान के लिए सरकार ने उन्हें यह तोहफा दिया है. ये संत लोगों को नर्मदा के संरक्षण को लेकर जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें स्वच्छता का संकल्प भी दिलाएंगे.
कांग्रेस ने जताया विरोध
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इसे स्वांग करार देते हुए कहा, ‘‘ऐसा कर मुख्यमंत्री अपने पापों को धोने का प्रयास कर रहे हैं. यह चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की सरकार की कोशिश है.’’