आज ही के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने लिया था जन्म

नई दिल्लीः हिन्दू नववर्ष के मुताबिक वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है, माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था. जमदग्नि और रेणुका के घर जन्में परशुराम भगवा शिव के परमभक्त थे, ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं. न्याय के देवता माने जाने वाले ऋषि परशुराम काफी क्रोधित प्रवृत्ति के माने जाते थे, ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने क्रोध में 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया था और तो और भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश भी उनके क्रोध से वंचित नहीं रह सके थे और उन्हें भी इनके गुस्से का शिकार होना पड़ा था. तो चलिए हम आपको बताते हैं ऋषि परशुराम से जुड़ी कुछ खास रोचक बातें-

भगवान शिव ने दिया परशु अस्त्र
भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा पर अपनी मां का वध कर दिया था, जिसके बाद परशुराम पर मातृ हत्या का पाप लगा था. जिसके बाद परशुराम ने भगवान शिव की तपस्या की और इसी के बाद परशुराम को मातृ हत्या के पाप से मुक्ति मिली. इसके साथ ही भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया था, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए.

गणपति को दिया था दंड
ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम एक बार देवों के देव भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत गए थे, जहां गणपति ने उन्हें रास्ते में रोक लिया. इस पर परशुराम को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया, जिसके बाद गणपति एकदंत कहलाए जाने लगे.

त्रेतायुग और द्वापरयुग में रहे मौजूद
मान्यता है कि भगवान परशुराम हर युग में मौजूद रहे हैं और आज भी वह दुनिया में मौजूद हैं. पुराणों के अनुसार परशुराम ने न सिर्फ महाभारत का युद्ध बल्कि भगवान श्री राम की लीला भी देखी थी.

21 बार किया था क्षत्रियों का विनाश
एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना समेत भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनी के आश्रम पहुंचा था. जहां उसने अपने लालच के चलते परशुराम के पिता जमदग्रि मुनी की कामधेनू को अपने बल से छीन लिया. इस बात का पता लगते ही परशुराम ने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया, जिसके बाद पिता की मृत्यु पर सहस्त्रार्जुन ने परशुराम के पिता का वध कर दिया. पिता की मौत से गुस्साए परशुराम ने इसके बाद 1 या 2 बार नहीं बल्कि पूरे 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की.

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