सरकार का बडा फैसला, रोजगार के आंकडे, विकास और निवेश पर बनाई कमेटी
नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार ने रोजगार के मुद्दे पर बड़ा फैसला लिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर छा रही सुस्ती और देश में बेरोजगारी के बढ़ते स्तर से चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दो नई कैबिनेट कमिटी का गठन किया। ये दोनों मंत्रीमंडलीय समितियां प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक विकास को गति देने, निवेश का माहौल बेहतर करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने के तरीके सुझाएंगी।
इसके साथ ही पहली बार विकास, निवेश और स्किल डेवलपमेंट पर भी कमेटी बनी है। रोजगार और कौशल विकास की कैबिनेट कमेटी में पीएम के अलावा, अमित शाह, पीयूष गोयल, नरेंद्र सिंह तोमर, महेंद्र पांडे, सन्तोष गंगवार, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं। वहीं निवेश और विकास पर बनी कैबिनेट कमेटी में पीएम मोदी के अलावा नितिन गडकरी, पीयूष गोयल ,अमित शाह और निर्मल सीतारामण हैं। बता दें कि तीनों कमेटियों की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
बता दें, शपथ लेने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए शुक्रवार का पहला दिन आर्थिक मोर्चे पर बुरी खबर लेकर आया था। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही जो पांच साल में सबसे कम है। इससे भारत आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर चीन से पिछड़ गया। राष्ट्रीय आय पर सीएसओ के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में पूरे साल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर भी घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 फीसदी (2011-12 की कीमतों पर) रही है।
इससे पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 7.2 फीसदी रही थी।
वहीं रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार को दावों को झटका लगा है, सीएसओ द्वारा जारी बेरोजगारी का 2017-18 का आंकड़ा भी चिंता बढ़ाने वाला है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 2017-18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 फीसदी रही जो पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा है। आम चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों पर जो रिपोर्ट लीक हुई थी शुक्रवार को सरकारी आंकड़ों में उसकी पुष्टि हो गई।
30 मई को मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही पेरयॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) ऐनुअल रिपोर्ट (जुलाई 2017 से जुलाई 2018) जारी किया गया। सरकार की ओर से जारी इस रिपोर्ट में देश में 6.1 प्रतिशत बोरोजगारी दर होने की बात कही गई जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है। बता दें, 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी के आंकड़े वाले रिपोर्ट एक अखबार ने छापी थी। इस रिपोर्ट को उस वक्त सरकार की ओर से खारिज कर दिया गया था।