राज्यसभा में EVM पर पीएम मोदी ने विपक्ष को घेरा, ‘एक देश, एक चुनाव’ की वकालत भी की
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर हुई चर्चा के बाद जवाब देने के साथ-साथ EVM के मुद्दे को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा और ‘एक देश, एक चुनाव’ की वकालत भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘कभी हमारी संख्या 2 थी। हमारा मजाक बनाया जाता था। निराशाजनक वातावरण में विश्वास के बलबूते हमने पार्टी को खड़ा किया। हमने हार पर कभी विलाप नहीं किया। जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता, सामर्थ्य का अभाव होता है। तब बहाने खोजे जाते हैं। ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जाता है। एक निरंतर प्रक्रिया है सुधार की। पहले का जमाना देख लीजिए क्या था। चुनाव के बाद अखबारों की हेडलाइन क्या होती थी। इतनी हिंसा हुई, इतने लोग मारे गए और इतने बूथ कैप्चर किए गए। आज हेडलाइन होती है कि पहले की तुलना में मतदान कितना बढ़ा है।’
राज्यसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने EVM का इतिहास तक बता दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘1977 में ईवीएम की चर्चा हुई। 1982 में पहली बार इसका प्रयोग किया गया। 1988 में इसी सदन के महानुभावों ने कानूनन इस बात की स्वीकृति दी। कांग्रेस के नेतृत्व में ईवीएम को लेकर नियम बनाए गए। आप हर गए इसलिए रो रहे हो। ये क्या तरीका है। इस ईवीएम से अब तक विधानसभा के 113 चुनाव हो चुके हैं, और यहां उपस्थित सभी दलों को उसी ईवीएम से जीतकर सत्ता में आने का मौका मिला। 4 लोकसभा के आम चुनाव हुए हैं। उसमें भी दल बदले हैं और आज हम पराजय के लिए कैसी बात कर रहे हैं। सारे परीक्षण के बाद ईवीएम पर सारी देश की न्यायपालिकाओं ने सही फैसला दिया है।’
‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस एक देश, एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। अरे चर्चा तो करिए। क्या ये समय की मांग नहीं है कि हमारे देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो? आज देश का दुर्भाग्य है कि जितने चुनाव, उतने मतदाता सूची? चुनाव के रिफॉर्म अनिवार्य हैं। ये होते रहने चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि अगर साथ चुनाव होंगे तो रीजनल पार्टियां खत्म हो जाएंगी। जहां-जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हुए वहां प्रादेशिक पार्टियां जीती हैं। देश के मतदाताओं को समझ है, इसलिए उनकी समझ पर शक मत करिए। हर प्रयास का स्वागत होना चाहिए। लेकिन हम पहले ही दरवाजे बंद करें तो कभी बदलाव नहीं आता है।’