तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाना उचित नहीं, स्थायी समिति के पास भेजा जाए विधेयक: कांग्रेस
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को तीन तलाक को निषेध करने वाले विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा कि तीन तलाक को फौजदारी का मामला बनाना उचित नहीं है। लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि भाजपा की तरफ से यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि हमारी पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है। हम साफ करना चाहते हैं कि हमारा रुख स्पष्ट है। तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के फैसले का सबसे पहले कांग्रेस ने स्वागत किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध सिर्फ तीन तलाक को इसे फौजदारी मामला बनाने से है, जबकि यह दीवानी मामला है।गोगोई ने इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि लाखों हिंदू महिलाओं को उनके पतियों ने छोड़ दिया है, उनकी चिंता क्यों नहीं की जा रही है? इससे पहले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए और पतियों से अलग रहने को मजबूर सभी धर्मों की महिलाओं के लिए एक कानून बनना चाहिए। उन्होंने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ करार देते हुए दावा किया कि यह विधेयक मुसलमानों की बर्बादी के लिए लाया गया है।जावेद ने सवाल किया कि जब मुस्लिम पुरुष जेल में होगा तो पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार ने पहले मुस्लिम पुरुषों को आतंकवाद के नाम पर जेल में डाला, फिर भीड़ द्वारा हिंसा के जरिए निशाना बनाया और अब इस प्रस्तावित कानून के जरिए उनको जेल में डालना चाहती है। कांग्रेस सांसद ने कि अगर सत्तारूढ़ पार्टी मुस्लिम महिलाओं के हित के बारे में इतना सोचती है तो उसके 303 सांसदों में एक भी मुस्लिम महिला क्यों नहीं है? उन्होंने सवाल किया कि सरकार को भीड़ द्वारा हिंसा के शिकार परिवारों की चिंता क्यों नहीं हो रही है? जावेद ने आरोप लगाया कि इस सरकार में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है।