सीरिया पर हुए US हमले के बाद बोला रूस, तीसरे विश्व युद्ध के लिए रहें तैयार

मास्को। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस के उस प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कर दिया है जिसमें उसने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा सीरिया पर किये गए हमले की कड़ी निंदा की बात कही थी। इसके बाद रुस ने जनता से कहा, वे तीसरे युद्ध के लिए तैयार हो जाएं। एक सरकारी रूसी टीवी चैनल ने यह रिपोर्ट दी है। क्रेमलिन के अपने चैनल ने माध्यम से जीने के लिए जरूरी आपूर्ति का सुझाव दिया और लोगों से कहा कि बम शिविर में शरण लेने के दौरान शरीर को रेडिएशन से बचाने के लिए आयोडीन पैक करें। सीरिया में जारी युद्ध के बीच यह रिपोर्ट रोसिया-24 ने दी है। इसके साथ ही शीर्ष सैन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दुनिया पहले ही दूसरे क्यूबाई मिसाइल संकट की गवाह बन चुकी है।

अलेक्जेंडर गोल्ट्स ने मास्को में रेन टीवी से कहा, एक साल जब मैंने कहा था कि हमने एक नए विश्व युद्ध में कदम रख दिया है, कोई यह बात मानने को तैयार नहीं था। अब सभी मानते हैं, लेकिन यह साफ है कि दूसरे विश्व युद्ध की घटनाएं बहुत जल्दी ही सामने आई है। यह सिर्फ शुरुआत है, हम जाहिर तौर पर क्यूबाई मिसाइल संकट 2 में दाखिल हो चुके हैं। बमरोधक शिविरों में पनाह लेने की नौबत आने पर किन-किन चीजों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। चैनल में इस बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

चैनल ने कहा, युद्ध के समय भोजन की आपूर्ति के साथ कई चीजों को रखने का सुझाव दिया गया, लेकिन इस खास इंतजाम के पीछे की असली वजह यह है कि लोग आपातकाल के लिए मीठे की तुलना में पानी का ज्यादा से ज्यादा स्टॉक रखें। टीवी देखने वालों को चावल पैक करने के लिए कहा गया, जिसे करीब 8 साल तक संरक्षित रखा जा सकता है और ओटमील को तीन से सात साल तक स्टॉक में रखा जा सकता है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने के बाद बम से बचाव के लिए शिविर बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों के व्यवसाय में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

रूस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया जखरोवा ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने सीरिया पर ऐसे समय में सैन्य हमला किया है, जब सीरिया को शांतिपूर्ण भविष्य का अवसर मिला था। उन्होंने कहा, सीरिया के पास आखिरकार जब शांति का मौका था, तब उसकी राजधानी पर हमला करना सचमुच एक अनोखी विशिष्टता है। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर शुक्रवार रात सीरिया में हमले किए, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूर्वी घौता के डौमा में संदेहास्पद रासायनिक हमलों के लिए अपने समकक्ष बसर अल-असद को दंडित करना चाहते हैं। संदिग्ध रासायनिक हमले में 70 लोगों की मौत हो गई थी।

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