जम्मू कश्मीर का दो हिस्सों में बंटवारा, अब वह केंद्र शासित प्रदेश होगा

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया. जम्मू कश्मीर से अनुछेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे. अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 सदन में पेश किया. गृह मंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इस अनुच्छेद के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की है. इसके समाप्त होने के साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया है.

अमति शाह ने कहा कि हम जो बिल और संकल्प लेकर आए है उस पर आप अपनी राय रख सकते है. अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत प्रदत्त कानूनों को खत्म करते हुए जम्मू कश्मीर पुर्नगठन 2019 विधेयक को पेश किया. इस विधेयक के मुताबिक जम्मू कश्मीर को अब केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा होगा. लद्दाथ बगैर विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश होगा.

आखिर क्या है धारा 370? 
जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ कैसा संबंध होगा, इसका मसौदा जम्मू-कश्मीर की सरकार ने ही तैयार किया था. जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370) को स्वीकार कर लिया. फिर 17 अक्टूबर, 1949 को यह आर्टिकल भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया.

धारा 370 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग है. जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है. देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं. संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है.

रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते. केंद्र का कानून लागू करने के लिये जम्मू-कश्मीर विधानसभा से सहमति ज़रूरी. वित्तीय आपातकाल के लिए संविधान की धारा 360 जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं. धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते. कश्मीर में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण नहीं मिलता. जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI और RTE लागू नहीं होता. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष नहीं, 6 वर्ष होता है.

राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन बिल पेश करने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद खड़े हुए और कहा कि पहले जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्य के 3 सीएम नजरबंद किए हुए है. राज्य में कई इलाकों में कर्फ्यू लगा है, पहले इस पर चर्चा होनी चाहिए.

इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों को जो कुछ भी सवाल है उन सभी पर सदन में चर्चा होगी. टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन बिल और अन्य बिलों के संशोधनों को पढ़ने के लिए हमें समय चाहिए.

राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि सभी सदस्यों को बिलों को पढ़ने और उसपर अपनी बात रखने के लिए उचित समय दिया जाएगा.

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