सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, ‘POSCO के तहत दर्ज केस की सुनवाई तेजी से कराएं’
नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से संबंधित यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई के संबंध में सभी हाईकोर्ट्स को आज अनेक निर्देश दिये। इसमें देश के सभी हाईकोर्ट से कहा गया है कि निचली अदालतों को POSCO कानून के तहत लंबित मामलों में अनावश्यक सुनवाई स्थगित नहीं करने का निर्देश दिया जाये। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सभी हाईकोर्ट्स को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि विशेष अदालतों द्वारा बच्चों से यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई तेजी से करके उनका फैसला करें।
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट्स को निचली अदालतों को यह निर्देश देने के लिये कहा है कि वे यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण ( पोक्सो ) कानून के तहत लंबित मुकदमों की सुनवाई स्थगित करने की अनावश्यक इजाजत नहीं दें। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट बच्चों से यौन हिंसा से संबंधित मुकदमों की सुनवाई की निगरानी के लिये तीन न्यायाधीशों की समिति गठित कर सकते हैं।
दिल्ली के मामले में पुलिस ने दावा था कि आरोपी ने शराब के नशे में बच्ची से बलात्कार करना कबूल किया है। इस बच्ची के माता पिता अपनी बच्ची को अपनी एक रिश्तेदार के पास छोड़कर काम पर जाते थे। एक रविवार जब उस रिश्तेदार का बेटा घर पर अकेला था तो उसने कथित रूप से बच्ची से दुष्कर्म किया। काम से जब मां घर लौटी तो उसने पीडि़त के कपड़ों पर खून के निशान देखे और उसने अपने पति को सूचित किया और वे बच्ची को अस्पताल ले गये जहां उसके साथ यौन हिंसा किये जाने का पता चला।