राम मंदिर पर अमित शाह ने कपिल सिब्बल को दी चुनौती- दम है तो रोक लो
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि ‘चार महीनों में गगनचुंबी राममंदिर का निर्माण होने वाला है.’
उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल कहते हैं कि राम मंदिर नहीं बनना चाहिए. अरे सिब्बल भाई, जितना दम हो रोक लो, चार महीने में आसमान को चूमते हुए राम मंदिर का निर्माण होने वाला है.”
अमित शाह मध्य प्रदेश के जबलपुर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर आयोजित ‘जन जागरूकता रैली’ को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ‘विपक्षी पार्टियां वोटबैंक की राजनीति के कारण नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रही हैं जबकि बीजेपी देश हित की राजनीति कर रही है.’
गृहमंत्री ने कहा, “लोगों को भड़काया जा रहा है, गुमराह किया जा रहा है कि उनकी नागरिकता चली जाएगी. ये सरासर ग़लत है. किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली.”
विपक्ष को लिया निशाने पर
गृहमंत्री ने कहा, ”मैं ममता बनर्जी और राहुल बाबा (राहुल गांधी) को चुनौती देता हूं कि सीएए में एक प्रॉविज़न बता दें जिसमें जिक्र हो कि इससे देश के किसी नागरिक की नागरिकता छिन जाएगी.”
उन्होंने कहा, ”भारत में जितना अधिकार आपका और मेरा है, उतना ही अधिकार पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई शरणार्थियों का भी है.’
जेएनयू का भी ज़िक्र
मोदी सरकार की खूबियां गिनाते हुए उन्होंने जनता से अनुच्छेद 370, तीन तलाक़ और राम मंदिर को लेकर भी सवाल किए और फिर कहा कि जिस जगह भगवान राम का जन्म हुआ वहां मंदिर बनेगा.
अमित शाह ने अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, ”जेएनयू में कुछ लड़कों ने भारत विरोधी नारे लगाए- “भारत तेरे टुकड़े हों एक हज़ार, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह.” उनको जेल में डालना चाहिए या नहीं डालना चाहिए? जो देशविरोधी नारे लगाएगा, उसका स्थान जेल की सलाखों के पीछे होगा.”
अमित शाह ने कहा कि ‘राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता ऐसे लोगों को बचाने की गुहार लगाते हैं और वोट बैंक की लालच में चलते-चलते इनकी भाषा पाकिस्तान जैसी हो गई है.’
नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध देशभर में हो रहा है. इसके ख़िलाफ़ बीते क़रीब एक महीने से लोग सड़कों पर हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
वहीं बीजेपी इस क़ानून को सही ठहराते हुए जनता के बीच जाकर ‘जागरूकता अभियान’ चला रही है.
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