अगले वित्त वर्ष में मामूली सुधार के साथ 3.3 फीसदी रह सकती है GDP ग्रोथ: इंडिया रेटिंग
मुंबई। राज्यों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ने का संकेत देते हुये रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने राज्यों के परिदृश्य को स्थिर से नीचे करते हुये स्थिर-से-नकारात्मक कर दिया। इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि वृद्धि दर में गिरावट और कर संग्रह कम रहने से 2020-21 में राज्यों का राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत तक पहुंच सकता है। राज्यों ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे को 2.6 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।
यहीं नहीं केंद्र सरकार के भी राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत के लक्ष्य से फिसल जाने का अनुमान है। इसकी वजह कर संग्रह और विनिवेश से प्राप्ति तय लक्ष्य से कम रहना है। इसके अलावा लाभांश भी कम रहने का अनुमान है। इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि राज्यों का राजस्व घाटा भी 2020-21 में कुल मिलाकर जीडीपी के मुकाबले 0.4 प्रतिशत रह सकता है। वहीं 2019-20 में राज्यों के राजस्व घाटे के0.01 प्रतिशत अधिशेष का बजट अनुमान रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में अधिक उधारी के चलते 2020- 21 में ब्याज भुगतान अधिक होगा और यही वजह है कि वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले राजस्व खर्च अधिक रह सकता है। जिससे अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा बढ़ सकता हे। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि हमारा अनुमान है कि 2020-21 में भी जीडीपी वृद्धि दर निचले स्तर पर रहेगी, ऐसे में राज्यों के राजस्व पर दबाव बना रहेगा और उनका राजकोषीय घाटा बढ़कर तीन प्रतिशत पर पहुंच सकता है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि इसी के मद्देनजर राज्यों के वित्तीय घाटे के मामले में अपने परिदृश्य को स्थिर से घटाकर स्थिर-से-नकारात्मक कर रहे हैं।