पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारत-चीन डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार, कोर कमांडर्स की बैठक में हुआ फैसला

नई दिल्ली: सीमा पर विवाद खत्म करने के लिए भारत और चीन तैयार हो गए हैं. दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के ‘डिसइंगेजमेट’ के लिए तैयार हो गई हैं.‌ सोमवार को दोनों देशों के कोर कमांडर्स की हुई मैराथन बैठक के बाद इस बात का फैसला लिया गया.

मंगलवार को सेना मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया, “भारत और चीन के बीच 22 जून 2020 को कोर कमांडर स्तर की वार्ता सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक वातावरण में मोल्डो में आयोजित की गई थी. इस दौरान डिसइंगेजमेंट (यानी दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने ) के लिए आपसी सहमति भी बन गई है.” सूत्रों के मुताबिक, “पूर्वी लद्दाख के सभी विवादित (‘फ्रिक्शन’) क्षेत्रों से डिसइंगेजमेंट के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्षों की ओर से इसे आगे बढ़ाया जाएगा.” इस डिसइंगेजमेंट की पुष्टि चीन के विदेश मंत्रालय ने भी की है.

लद्दाख में चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी करीब 856 किलोमीटर की है. इसमें पूर्वी लद्दाख में एलएसी, काराकोरम पास यानी दर्रे के करीब डीबीओ (दौलत बेग ओल्डी) से शुरू होकर गलवान घाटी और गोगरा पोस्ट होती हुई फिंगर एरिया और फिर पैंगोंग त्सो लेक के बीच से चुशुल-मोलडो तक जाती है.

आपको बता दें कि सोमवार को दोनों देश के कोर कमांडर्स‌ की करीब ग्यारह घंटे लंबी बैठक चली थी. इस बैठक में भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. जबकि चीन की तरफ से दक्षिणी शिंचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियु लिन ने. मीटिंग वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चीन की तरफ मोलडो में बनी बॉर्डर पर्सनैल मीटिंग (बीपीएम) हट में चल रही है, जो भारत की चुशूल स्थित बीपीएम हट से सटी हुई है.

आपके बता दें कि पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी, फिंगर एरिया और हॉट स्प्रिंग के करीब गोगरा में पिछले सात हफ्तों से एक दूसरे के सामने हैं. 15/16 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है.‌ ऐसे में दोनों देशों की सेनाओं के बीच फेसऑफ यानी टकराव की लगातार स्थिति बनी हुई थी. चीन की सेना ने फिंगर एरिया 5-8 के बीच करीब 60 वर्ग किलोमीटर के विवादित इलाके में गैर-कानूनी कब्जा भी कर लिया है और भारतीय सैनिकों को पैट्रोलिंग करने से रोक रहा है. ठीक ऐसे ही गोगरा से फिंगर एरिया 7 तक ट्रैक बनाने को लेकर भी चीनी सेना एतराज जता रही है.

साथ ही गलवान घाटी के पैट्रोलिंग पॉइंट नंबर 14 से तो दोनों देश के सैनिक 15/16 जून की रात के हिंसक संघर्ष के बाद पीछे हट गए थे, लेकिन अभी भी पीपी 15 और 17 पर तनाव बना हुआ है.

लेकिन सूत्रों की मानें तो जिस तरह से सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए खुद चीन ने सोमवार को मीटिंग बुलाई उससे ऐसा लगता है कि चीन बातचीत के जरिए मामले को सुलझाना चाहता है. यही वजह है कि मीटिंग एलएसी पर चीन की तरफ मोलडो में हुई और चीनी कमांडर ने लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को ‘होस्ट किया’ था.

लेकिन भारतीय सेना के टॉप कमांडर्स इस बार पूरी तरह सचेत हैं क्योंकि 6 जून की मीटिंग के बाद भी चीन इसी तरह से डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार तो हो गया था. लेकिन ग्राउंड पर उसके फील्ड कमांडर डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार नहीं हुए थे. यही वजह है कि गलवान घाटी में चीनी कमांडर ने अपनी अस्थायी ऑब्जर्वेशन पोस्ट नहीं हटाई थी, जिसको लेकर वहां हिंसक झड़प हुई और भारत के कमांडिंग ऑफिसर, कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए. हालांकि बाद में भारत की बिहार रेजीमेंट ने पंजाब रेजीमेंट और तोपखाने के ‌सैनिकों के साथ मिलकर चीन की उस अस्थायी चौकी को आग के हवाले कर दिया था और चीनी सेना को करीब करीब दोगुना नुकसान हुआ था.

सूत्रों के मुताबिक, हालांकि दोनों देश के सैन्य कमांडर डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार जरूर हो गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये भी है कि अभी कुछ समय तक विवाद बना रह सकता है. क्योंकि अभी भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर पूरी तरह सहमति नहीं बन पाई है. खास तौर से फिंगर एरिया को लेकर. अभी सैन्य कमांडर्स के साथ-साथ राजनयिक स्तर पर बातचीत होगी, तभी जाकर मामला पूरी तरह‌ से सुलझ पाएगा,‌ उससे पहले नहीं.

इस बीच थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे दो दिन के लेह-लद्दाख दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने गलवान घाटी में घायल हुए सैनिकों से लेह स्थित अस्पताल में मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की. इसके अलावा पूर्वी लद्दाख से सटी चीन सीमा के हालात की समीक्षा कर लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया.

सेना प्रमुख के साथ उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी मौजूद हैं. दोनों ही मंगलवार को राजधानी दिल्ली से एक साथ लेह पहुंचे. क्योंकि वाई के जोशी आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के लिए दिल्ली में ही मौजूद थे. मीटिंग खत्म होने के बाद दोनों एक साथ ही लेह के लिए रवाना हुए.

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