कांग्रेस ने SC में दाखिल यूपी सरकार के हलफनामा को बताया सफेद झूठ, कहा- मामले को ढंकने की हो रही कोशिश
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय में हाथरस की घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर हलफनामे को ‘सफेद झूठ’ करार देते हुए मंगलवार को दावा किया कि उप्र सरकार न्यायालय की निगरानी वाली जांच से बचने और मामले को ढंकने का प्रयास कर रही है। पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने यह मांग दोहराई कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी आरंभ से कह रही है कि हाथरस की बेटी के साथ जो हुआ, उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने न्याय नहीं, बल्कि बार-बार अन्याय किया है। उसने हर कदम मामले को दबाने के लिए उठाया। उच्चतम न्यायालय में दाखिल राज्य सरकार के हलफनामे से यह बात साफ हो गई।’’
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता ने कहा, ‘‘इस हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने जो बाते की हैं, वो सफेद झूठ हैं। इस हफलनामे का उद्देश्य सीबीआई जांच को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में आने से रोकना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने कहा कि बच्ची का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज के साथ किया गया, जबकि यह सफेद झूठ है। पूरे देश ने देखा कि रात के अंधरे में लड़की का अंतिम संस्कार किया गया। हलफनामे को तैयार करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अदालती अवमानना का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।’’
सुष्मिता ने दावा किया, ‘‘यह भी झूठ कह दिया गया कि बच्ची के साथ बलात्कार नहीं हुआ। लड़की ने मरने से पहले दिए अपने आखिरी बयान में कहा था कि उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। हम योगी आदित्यनाथ सरकार के इस रुख की कड़ी निंदा करते हैं।’’ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि भाजपा के कई नेता और उसके आईटी प्रकोष्ठ ने पीड़िता को बदनाम करने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने हलफनामा तैयार करने के लिए अमेरिका के ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन से संबंधित मामलों की शब्दावलियों का इस्तेमाल किया और वहां के तथ्यों को यहां ‘कॉपी-पेस्ट’ कर दिया गया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मंगलवार को हाथरस मामले की सीबीआई जांच का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई निहित स्वार्थ से गलत और झूठे विमर्श नहीं रच पाएगा। कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत के मामले के अलावा राज्य सरकार ने सीबीआई से प्रदेश में सांप्रदायिक विद्वेष, हिंसा भड़काने, मीडिया के एक वर्ग द्वारा भड़काऊ प्रचार की घटना और राजनीतिक हितों की कथित साजिश के संबंध में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने का अनुरोध किया है।
ज्ञात हो कि हाथरस जिले के एक गांव में गत 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था। चोटों के चलते गत मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी, जिसके बाद रातोंरात उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया गया। परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन ने उनकी सहमति के बगैर गत बुधवार तड़के पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया। दलित युवती से कथित सामूहिक बलात्कार व उसकी मौत के मामले में गांव के ही रहने वाले अगड़ी जाति के चार युवकों को गिरफ्तार किया गया है।