जब विपक्ष की सरकार थी तब स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार पर ध्यान नहीं दिया, अब जुबान चला रहे: नीतीश
पटना। बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र की स्थिति खराब होने के विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री एवं जदयू नेता नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि जब विपक्षी दल की सरकार थी तब इन क्षेत्रों में काम नहीं किया और अब जुबान चला रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के लिये डिजिटल माध्यम से जनता दल यूनाटेड के ‘निश्चय संवाद’ को संबोधित करते हुए कुमार ने ‘जल जीवन हरियाली’ और ‘हर घर नल से जल योजना’ सहित शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ पहले इन लोगों (विपक्ष) ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या काम किया था?’’ नीतीश पिछले 15 साल से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं।उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमारे विद्यार्थी इंजीनियरिंग, मेडिकल पढ़ने के लिए बाहर जाते थे। हमने राज्य में ही पढ़ने के लिए व्यवस्था की, संस्थान शुरू किए तथा छात्रों को क्रेडिट कार्ड के माध्यम से सहायता दी।’’ कुमार ने कहा कि विपक्ष रोजगार की बात करता है, लेकिन जब उनका शासन था तब 95 हजार 734 लोगों को 15 साल में भर्ती किया गया था जबकि हमने अपने 15 साल के शासन में 6 लाख 8 हजार 893 युवाओं को भर्ती किया। गौरतलब है कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के हालात को लेकर नीतीश सरकार पर हमला किया था और कहा था कि विभिन्न विभागों में राष्ट्रीय औसत के मानकों के हिसाब से बिहार में अभी 5 लाख 50 हजार नियुक्तियों की अत्यंत आवश्यकता है। यादव ने कहा था कि उनकी सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में बिहार के 10 लाख युवाओं को नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद सरकार के दौरान अनेक हत्याएं, नरसंहार, दंगे हुए जबकि वर्तमान सरकार ने कानून का राज स्थापित करने की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमसे पहले जिन्हें राज मिला उन्होंने क्या किया? कानून की क्या स्थिति थी? नई पीढ़ी को बताना चाहिए बिहार में जंगलराज के बारे में। हमने कहा था कानून का राज स्थापित करेंगे, न्याय के साथ विकास करेंगे, हर तबके का विकास करेंगे और हमने यह किया है।’’ विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोग अल्पसंख्यकों के नाम पर वोट लेते हैं लेकिन किया क्या है? भागलपुर में जो दंगा हुआ उसके लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि हमने सरकार में आते ही जांच कराई, पीड़ितों को 2500 रुपए प्रतिमाह देने का प्रावधान किया।