पंजाब सरकार का बड़ा फैसला, सरकारी नौकरियों में 33% महिला आरक्षण को मंजूरी

चंडीगढ़: पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने महिला शसक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक फैसला लिया है. पंजाब सरकार ने सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी दे दी. बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई पंजाब कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया. राज्य मंत्रिमंडल ने पंजाब सिविल सेवा (महिलाओं के लिए पदों का आरक्षण) नियम, 2020 को मंजूरी दे दी, ताकि सरकार में पदों पर सीधी भर्ती के लिए महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया जा सके. साथ ही ग्रुप ए, बी, सी और डी पोस्ट पर बोर्ड और निगमों में भर्ती की जा सके. पंजाब सरकार ने इस फैसले को राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है.

बिहार में महिलाओं को 35% आरक्षण
आपको बता दें कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला पंजाब दूसरा राज्य बन गया है. इससे पहले बिहार में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है. नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी नौकरियों के सभी पदों पर सीधी भर्ती के लिए महिलाओं को 35% के आरक्षण का प्रावधान किया है.

कानूनी क्लर्क कैडर के गठन की मंजूरी
इसके अलावा अदालती मामलों/कानूनी मामलों को समयबद्ध तरीके और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के लिए, पंजाब कैबिनेट ने पंजाब सिविल सचिवालय (राज्य सेवा वर्ग- III) नियम, 1976 में संशोधन करके पंजाब सिविल सचिवालय में कानूनी क्लर्क कैडर के गठन के लिए भर्ती की मंजूरी दे दी है. एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, सामान्य क्लर्क कैडर से 100 पद निकालकर ऐसा किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई वित्तीय प्रभाव नहीं है.

स्टेट रोजगार योजना को CM की मंजूरी
इसके अलावा CM अमरिंदर सिंह ने स्टेट रोजगार योजना, 2020-22 को भी मंजूरी दे दी है. इसके तहत साल 2022 तक प्रदेश के एक लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार देने का काम किया जाएगा. इस योजना के तहत सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर तेजी से नियुक्तियां की जाएगीं.

कृषि कानूनों के विरोध में कानून बनाने की तैयारी
पंजाब सरकार ने केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में कानून बनाने के लिए 19 अक्टूबर को राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है. कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया. इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार ‘संघीय ढांचे के विरोधी’ कृषि कानूनों से वैधानिक तरीके से लड़ेगी. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय कानूनों के ‘खतरनाक प्रभाव’ को समाप्त करने के लिए वह विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे.

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