बर्ड फ्लू का संकट गंभीर, पक्षियों की मौत की रिपोर्ट दें… राज्यों को पर्यावरण मंत्रालय की चिट्ठी

कोरोना वायरस महामारी के साथ ही बर्ड फ्लू (Bird Flu) का संकट गहराता जा रहा है. इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) ने मंगलवार को सभी राज्य मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को चिट्ठी लिखकर उनसे एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने को कहा है. राज्यों को सलाह दी गई है कि पशुपालन विभाग द्वारा सैंपलिंग टेक्नीक पर आयोजित ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए कर्मचारियों/अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए. साथ ही प्रवासी पक्षियों की सभी मौतें- उनकी संख्या और कारण (Bird Flu) पर्यावरण मंत्रालय को बताया जाए. मंत्रालय ने कहा कि भेजे गए सैंपल और टेस्टिंग रिपोर्ट्स के कलेक्शन, डिस्पैच के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए.

प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए बनेगा एक एक्शन प्लान
ऐसे में पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है. राज्य प्रवासी पशु-पक्षियों के नमूनों के संग्रह में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे. इसमें मृत पक्षियों का सैंपल अत्यंत सावधानी और साइंटिफिक ऑब्जर्बेशन के साथ लिया जाएगा. वहीं, निगरानी केवल संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन क्षेत्रों में भी होगी जहां प्रवासी पक्षी आते हैं.

पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों को दिए ये भी निर्देश:-

>पर्यावरण मंत्रालय की चिट्ठी में आगे लिखा गया कि किसी भी पक्षी के अनुचित व्यवहार या जंगली पक्षियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की मौत (Bird Flu) की गहन निगरानी की जानी चाहिए. चिड़ियाघर में भी सतर्कता बरती जानी चाहिए.

>>सभी राज्यों को महत्वपूर्ण पक्षी स्थलों की जानकारी के साथ-साथ वीकली रिपोर्ट मंत्रालय को भेजने के लिए कहा गया है. इसमें पक्षियों की संख्या और प्रजातियां, आने और रहने की अवधि, पिछले वर्षों की तुलना में प्रवासी पैटर्न में कोई भी परिवर्तन आदि का जिक्र करना होगा.

>>चिट्ठी में आगे कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में प्रवासी पक्षियों सहित बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत की खबरें आई हैं. आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज, भोपाल में सैंपल H5Nl एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस (Bird Flu) के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं.

>>केंद्रशासित प्रदेश और राजय इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएं और कोई भी संकेत मिलते ही पक्षियों की निगरानी करें. चिड़ियों की निगरानी के समय जिन लक्षणों को देखना है, वे हैं- कंपकंपी, दस्त, सिर का झुकाव, पैरालिसिस वगैरह.

इन राज्यों में बर्ड फ्लू की हुई पुष्टि
हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान में बर्ड फ्लू के चलते हजारों पक्षी मर गए हैं. हिमाचल में इस मौसम में प्रवासी पक्षी बहुतायत में कांगड़ा और आसपास के इलाकों में आते हैं. सोमवार तक के आंकड़े करीब 2300 पक्षियों के मौत की पुष्टि कर रहे हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने कई इलाकों के पक्षियों को मारने के लिए आदेश दिए हैं.

केरल में 12000 से ज्यादा बत्तखों की मौत
उसी तरह केरल में पिछले 2-3 दिनों में 12000 से ज्यादा बत्तख केवल दो जिलों कोट्टायम और अलप्पुझा में मर चुकी हैं. इस राज्य में हर साल ही बर्ड फ्लू की मार पड़ती है. वहां भी राज्य सरकार कई प्रभावित इलाकों में पक्षियों को मार रही है. राजस्थान में भी 500 के आसपास पक्षी मारे गए हैं. मध्य प्रदेश राज्य में भी अलर्ट जारी हो गया है. सरकार कहना है कि बर्ड फ्लू से एच5एन8 और कई अऩ्य तरह के वायरस एंफ्लुएंजा का खतरा है.हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पक्षियों की मौत के बारे में पहली बार 28 दिसंबर को जानकारी मिली थी. क्षेत्र के कर्मचारी प्रवासी पक्षियों की संख्या का अनुमान लगा रहे थे, तभी कुछ पक्षी मरे हुए मिले. इसके बाद कर्मचारियों ने पूरे अभयारण्य क्षेत्र का दौरा किया. कई पक्षी मृत पाए गए. मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) उत्तर, उपासना पटियाल कहती हैं, ‘हम इस मौसम के दौरान एक पखवाड़े में प्रवासी पक्षियों के आने का आकलन करते हैं. हमने 15 दिसंबर तक 57,000 प्रवासी पक्षियों के आगमन का अनुमान लगाया था. मृत पाए गए पक्षियों को प्रोटोकॉल के अनुसार दफनाया जा रहा है. जो अभी जिंदा हैं, उन्हें आइसोलेट कर दिया गया है.’

क्या है बर्ड फ्लू?

दरअसल बर्ड फ्लू को एवियन एंफ्लुएंजा भी कहते हैं. ये एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जो पक्षियों से मनुष्यों को भी हो सकता है. ये जानलेवा भी हो सकता है.

इसका सबसे आम रूप H5N1 एवियन एंफ्लुएंजा कहलाता है. ये बेहद संक्रामक है. समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक सबसे पहले एवियन एंफ्लुएंजा के मामले साल 1997 में दिखे. संक्रमित होने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई.

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427