योगी के दिल्ली दौरे से छंटे आशंकाओं के ‘बादल

 स्वदेश कुमार,लखनऊ
     लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी चुनावी मोड में आ गई है। राज्य में हुए पिछले दो लोकसभा और 2017 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को शानदार जीत दिलाने के रणनीतिकार और तब के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के कंधों पर इस बार भी यूपी में भाजपा का बेड़ा पार करने की जिम्मेदारी डाली गई है। इसी लिए चार साल तक जो कुछ यूपी में चलता रहा,उससे आगे बढ़कर पार्टी आलाकमान ने सोचना शुरू कर दिया है। चुनावी साल में वोट बैंक मजबूत करने के लिए पुराने साथियों को मनाया जा रहा है तो पार्टी के नाराज नेताओं/कार्यकर्ताओं को भी उनकी ‘हैसियत’ के हिसाब से ‘ईनाम’ देने की तैयारी कर ली गई है। लम्बे समय से खाली पड़े तमाम आयोगों-बोर्डो आदि के पद भरे जाएंगे तो कुछ नेताओं को पार्टी में पद देकर नवाजा जाएगा। दिल्ली में मोदी,अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नडडा से मुलाकात के बाद इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ ऐसे कदम उठाने को तैयार हो गए हैं जिससे मिशन-2022 को पूरा करने में कोई अड़चन नहीं आए। कहा यह भी जा रहा है कि कुछ शर्तो के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी करेगें, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जाएगा जिससे योगी का कद छोटा होता दिखे और विपक्ष को घेरने का मौका मिल जाए।अगर यह कहा जाए कि योगी का दिल्ली दौरा उनक(योगी)े लिए काफी सफल रहा तो इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली दौेरे पर गए योगी तब थोड़ा नरम पड़े जब उन्हें इस बात का अहसास करा दिया गया 2022 के विधान सभा चुनाव उनकी अगुवाई में ही होंगे। वह ही स्टार प्रचारक होंगे और वह ही भावी सीएम भी रहेंगे। आलाकामन से इस तरह के आश्वासन मिलने के बाद ही योगी अपने मंत्रिमंडल में  कुछ बदलाव करने पर सहमत हुए। वहीं प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी शान में कसीदे पढ़ते दिखे। योगी और पार्टी आलाकमान के बीच आशंकाओं के बादल छंटे तो पार्टी के भीतर से ‘आॅल इस वैल’ की गूंज सुनाई पड़नेे लगी। करीब आधा दर्जन नये मंत्री बनाए जा सकते हैं।  दावेदारों में कांग्रेस से बीजेपी में आए जितिन प्रसाद और एमएलसी एके शर्मा के अलावा अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के एक नेता के भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा  हैं। एक-दो मंत्री योगी की पंसद के भी बनाए जायेगें।  चुनावी साल में यूपी में चार एमएलसी सीटें खाली  हो रही हैं। इनको  भरते समय भी जातिगत गणित का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
कुल मिलाकर अमित शाह ने सीएम योगी को एक रास्ता दिखा दिया है जिसके तहत योगी को ‘बैकलाॅग‘ खत्म करनेे के साथ यूपी की चुनावी तैयारियांे  को धार देने होगा । वहीं चुनावी तैयारियांे को तेज देते हुए बीजेपी ने विधानसभा प्रभारी और चुनाव संयोजकों की निुयक्ति की तैयारी शुरू कर दी है। जिलों से इसके लिए नाम मांगे गए हैं।  प्रदेश भाजपा में मोर्चांे, प्रकोष्ठों के कई पद खाली हैं। इन पर भी नियुक्ति की कवायद तेज कर दी गई है। संगठन में भी अग्रिम मोर्चों, प्रकोष्ठों और प्रकल्प में मंडल स्तर तक नियुक्यिां की जाएंगी। माना जा रहा है कि सब कुछ सही तरीके से चला तो चुनावी तैयारी के पहले चरण में जुलाई तक संगठन और सरकार में विभिन्न पदांे के करीब एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को समायोजित कर दिया जाएगा।
संगठन में भी महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा जैसे प्रमुख मोर्चां, मीडिया विभाग, मीडिया संपर्क विभाग सहित अन्य विभागों व प्रकोष्ठ में प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला और मंडल स्तर तक टीमों का गठन किया जाएगा। हाल ही पार्टी का पद छोड़कर पंचायत चुनाव लड़ने वाले पदाधिकारियों की जगह भी नए कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की जाएंगी। प्रदेश  अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के अनुसार सरकार और संगठन में सभी रिक्त पदों पर नियुक्तियां के बाद करीब एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं का समायोजन हो जाएगा।

बात खाली पड़े तमाम प्रकोष्ठों, आयोगों और बोर्डो की कि जाए तो तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को राज्य अल्पसंख्यक आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग सहित अन्य आयोगों निगमों, बोर्डों व समितियों नियुक्त किया जा सकता है। प्रमुख आयोगों में अध्यक्ष पदों पर नियुक्ति के लिए दावदारांे के नाम पर सरकार और संगठन के प्रमुख लोगों के बीच मंथन चल रहा है। उक्त पदों को इस तरह से भरा जाएगा,जिससे जातीय व क्षेत्रीय सतंुलन का संदेश आम जन तक जाएं।अपनी जाति-समाज में प्रभाव रखने वालों की इन पदों पर विशेष तौर पर नवाजा जाएगा।
लब्बोलुआब यह है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सत्ता बन रहे  यह इस लिए भी जरूरी है क्योंकि यूपी मजबूत रहेगा तभी दिल्ली बच पाएगा। जब तक यूपी में बीजेपी हाशिये पर थी,तब तक दिल्ली में भी वह ठहर नहीं पा रही थी। यूपी बीजेपी के साथ मोदी-अमित शाह के लिए काफी महत्वपूर्ण  है। यूपी में बीजेपी को नीचे से ऊपर तक पहुंचाने का श्रेय अमित शाह को ही जाता है। 2013 में जब उन्हें प्रभारी बनाकर भेजा गया था, तब यूपी में पार्टी के 50 से भी विधायक और 10 सांसद थे गुटबाजी भी चरम पर थी। 2014 के चुनाव से पहले शाह ने ही यह सब खत्म किया। यूपी में गठबंधन का प्रयोग भी उनकी ही देन थी। बीजेपी के लिए फायदे का सौदा यह भी है कि यूपी में विपक्ष बिखरा हुआ है और इसके एकजुट होने की संभावनाएं इस लिए काफी कम है क्योंकि विपक्ष गठबंधन के सभी प्रयोग कर चुका है,लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी। न कांगे्रस-सपा और न ही बसपा-सपा गठबंधन को कामयाबी मिली थी।

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427