मोदी से मुलाक़ात के एक महीने हुए लेकिन कुछ हुआ नहीं: फ़ारूक़ अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीति के राजनेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के महीने भर बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने रविवार को कहा है कि ‘ज़मीन पर बात आगे नहीं बढ़ पाई’ है.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने ये बात प्रधानमंत्री मोदी की 24 जून के उस बयान पर कही जिसमें कहा गया गया था कि वे जम्मू और कश्मीर के लोगों का दिल जीतना चाहते हैं.

जम्मू और कश्मीर के राजनेताओं के साथ नई दिल्ली में हुई इस मुलाक़ात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वे ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ मिटाना चाहते हैं.

जम्मू और कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, “एक तारीफ़ के काबिल बयान दिया गया लेकिन ज़मीन पर लोगों का दिल जीतने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई. लोग अब भी जेलों में बंद हैं और ख़िलाफ़ उठने वाली आवाज़ों को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है. हम ज़मीनी बदलाव देखना चाहते हैं. एक झटके में विशेष दर्जा खत्म कर दिए जाने और राज्य के बँटवारे से जो लोग सदमे में हैं, उन्हें जीतने की कोशिश दिखनी चाहिए.”

उन्होंने कहा, “लेकिन एक महीने बाद भी हम बात आगे बढ़ने का इंतज़ार कर रहे हैं. दिल्ली और श्रीनगर के बीच भरोसा वो चीज़ है जो दिखाई नहीं दे रहा है. जवाहर लाल नेहरू से लेकर वाजपेयी तक सभी प्रधानमंत्रियों ने वादे किए लेकिन भरोसे की कमी बरकरार है.”

फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि वो और उनकी पार्टी दिल्ली की मीटिंग में इसलिए शरीक हुए क्योंकि इसके लिए प्रधानमंत्री की तरफ़ से निमंत्रण आया. हालांकि वे ये भी कहते हैं कि उन्हें इस मुलाक़ात से कोई उम्मीद नहीं थी.

फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर विधानसभा चुनाव कराए जाएं. सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने केंद्र से मांग की है कि वो इस मुद्दे पर सहमति दिखाकर अपनी नेकनियती साबित करे.

ये पूछे जाने पर कि अगर केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए बगैर चुनाव कराने का फ़ैसला किया तो क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस इसमें हिस्सा लेगी, फारूक़ अब्दुल्ला का जवाब था, “वक़्त आने पर हम इसका फ़ैसला करेंगे.”

जम्मू और कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीति के छह राजनीतिक दलों के गुपकार गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम साथ हैं… हम सभी इसमें शामिल हैं. हमने इसे छोड़ा नहीं है.”

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