UNSC बैठक में प्रधानमंत्री बोले- आतंक को बढ़ावा देने के लिए हो रहा समुद्री मार्गों का दुरुपयोग
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (Antony Blinken) भी हिस्सा ले रहे हैं. ब्लिंकेन इस बैठक से वर्चुअली जुड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘समुद्री सुरक्षा का विस्तार : अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मामला’ पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता कर रहे हैं.
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “समुद्र हमारी साझा विरासत हैं और समुद्री रास्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार की लाइफलाइन हैं. ये महासागर हमारे ग्रह के भविष्य के लिए बहुत महत्व रखते हैं. हमारी ये साझा विरासत कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है. आतंक को बढ़ावा देने के लिए समुद्री मार्गों का दुरुपयोग किया जा रहा है. हम चाहते हैं कि हमारे क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को लेकर एक समावेशी फ्रेमवर्क तैयार हो. ये फ्रेमवर्क SAGAR (Security And Growth for All in the Region) पर आधारित हो. ये दृष्टिकोण सुरक्षित और स्थिर समुद्री मार्ग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. हमें समुद्री व्यापार की बाधाओं को समाप्त करना होगा. हमारी समृद्धि सुचारू समुद्री व्यापार पर निर्भर करती है. इसमें किसी भी तरह की बाधा हमारे भविष्य के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकती है.”
अगर समुद्री मार्गों को सुचारू रूप से चलाना है तो पांच सिद्धांतों पर अमल करना होगा: PM
समुद्री सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में 5 मूल सिद्धांतों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अगर समुद्री मार्गों को सुचारू से चलाना है तो पांच सिद्धांतों पर अमल करना होगा.
1-हमें समुद्री व्यापार में पैदा होने वाली बाधाओं को हटाना होगा जिससे वैध व्यापार को स्थापित किया जा सके.
2-समुद्री विवादों का निपटारा शांतिपूर्वक और अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक किया जाना चाहिए.
3-जिम्मेदार समुद्री कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
4- नॉन स्टेट एक्टर्स और प्राकृतिक आपदाओं द्वारा पैदा की गई समुद्री चुनौतियों का सामना एक साथ मिलकर किया जाना चाहिए.
5-हमें समुद्री पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण करना होगा.
महत्वपूर्ण वक्त में हो रही है ये बैठक
सुरक्षा परिषद में यह बहस ऐसे समय में हो रही है, जबकि भारतीय नौसेना अगस्त की शुरुआत में दो महीने से अधिक समय के लिए दक्षिण चीन सागर, पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण पूर्व एशिया जल क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों से युक्त एक नौसैनिक कार्य समूह तैनात कर रही है, जिसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में अपनी स्थिति को मजबूत करना है