महिलाओं की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं :ठाकरे
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जोर देकर कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। ठाकरे ने साकीनाका उपनगर में एक महिला के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की पृष्ठभूमि में कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों का रिकॉर्ड होना चाहिए। गौरतलब है कि इस वारदात को अंजाम देने वाला व्यक्ति उत्तर प्रदेश के जौनपुर का निवासी बताया गया है।
उन्होंने कहा कि जब कोई अपराध होता है, तो जन जागरूकता फैलाने व शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने पर बहस होती है। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे कार्यक्रम केवल महाराष्ट्र के लोगों के लिए हैं या बाहर से राज्य में आने वालों के लिए भी होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने निराश्रित महिलाओं को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नीति बनाने के वास्ते राज्य सरकारों और केंद्र के बीच संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
उधर, शिवसेना ने कहा कि यहां एक महिला के साथ हुए नृशंस बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया लेकिन मुंबई दुनिया में महिलाओं के लिए ‘‘सबसे सुरक्षित शहर’’ है और इसे लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाएं राज्य की संस्कृति पर एक ‘धब्बा’ हैं और लोगों में गुस्सा उचित है।
पुलिस ने पहले कहा था कि उपनगरीय साकीनाका में शुक्रवार तड़के एक खड़े टेम्पो के अंदर एक व्यक्ति ने 34 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार और क्रूरता की। शनिवार तड़के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मुंबई में हुई दुष्कर्म की इस घटना ने दिल्ली में 2012 में हुए ‘निर्भया’ सामूहिक दुष्कर्म की याद ताजा कर दी। घटना के कुछ घंटों के भीतर गिरफ्तार किए गए 45 वर्षीय संदिग्ध पर बाद में हत्या का आरोप लगाया गया।
‘सामना’ ने कहा, ‘‘साकीनाका में महिला के बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर दिया है लेकिन, मुंबई महिलाओं के लिए दुनिया का अत्यंत सुरक्षित शहर है और किसी के भी मन में इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।’’ इसमें कहा गया है कि यहां साकीनाका इलाके में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या जैसी घटनाएं एक ‘‘भयंकर विकृति’’ के कारण होती हैं, जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में देखा जा सकता है और मुंबई की घटना की तुलना हाथरस (उत्तर प्रदेश में जहां पिछले वर्ष 19 वर्षीय दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी) मामले से करना पूरी तरह से गलत है।