पितृपक्ष आज से शुरू, पितरों का किया जाएगा तर्पण, ऐसे करें श्राद्ध

आज यानी 20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. छह अक्टूबर तक पूर्वजों को याद कर तर्पण किया जाएगा. इस दौरान धार्मिक और मांगलिक कार्य नहीं होंगे. पूर्वजों के प्रति समर्पण, कृतज्ञता व श्रद्धा व्यक्त करने का काम किया जाएगा. पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, पूजन व दान करने का सिलसिला छह अक्टूबर तक चलेगा. पितृपक्ष में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए पूजा करते हैं. पितरों के तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं.  ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जिस तिथि को व्यक्ति का निधन होता है उसी तिथि को उसका श्राद्ध करने की परंपरा है. श्राद्ध करने से पितृ दोष शांत होता है. पूर्वजों की कृपा मनुष्य पर हमेशा बनी रहती है.इस बार षष्ठी तिथि के श्राद्ध का संयोग दो दिन बन रहा है.

षष्ठी तिथि का श्राद्ध 26 व 27 सितंबर को किया जा सकेगा

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर की सुबह 5.01 बजे लग जाएगी. ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध सोमवार को होगा. वहीं, षष्ठी तिथि 26 सितंबर की सुबह 10.59 बजे से लगकर 27 सितंबर की दोपहर 1.03 बजे तक रहेगी. इस तिथि का श्राद्य़ का संयोग दो दिन रहेगा. श्राद्ध करने का उपयुक्त समय सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक रहता है. इसी कारण षष्ठी तिथि का श्राद्ध 26 व 27 सितंबर को किया जा सकेगा.

पितृ पक्ष के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. किसी नई वस्तु की खरीदारी व गृह प्रवेश समेत अन्य मांगलिक कार्य धार्मिक अनुष्ठान करना शुभ नहीं होता है. पितृ पक्ष पूर्जवों की पुण्य स्मृति का पर्व होता है.

पितृपक्ष संपन्न होने के बाद नवरात्र पर्व शुरू हो जाएगा. बाजार में रौनक लौट आएगी. फिर से मांगलिक काम किया जा सकता है.

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