कांग्रेस के पंजाब दांव से यूपी में बैकफुट पर आई बीजेपी 22 से करेगी मंथन
संजय सक्सेना,लखनऊ
कांग्रेस ने पंजाब में अपने दलित नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी क्या सौंपी है, उत्तर प्रदेश की भी दलित राजनीति उफान मारने लगी है। यूपी कांग्रेस के नेता बीजेपी पर तंज कसने लगे हैं कि हम सिर्फ दलितों क यहां जाकर खिचड़ी नहीं खाते हैं,बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाते हैं। कांग्रेस के दलित दांव से बीजेपी की धड़कने इस लिए भी बढ़ी हुई हैं क्योंकि भले ही बीजेपी की कई राज्यों में सत्ता हो,लेकिन बीजेपी आलाकमान ने कभी इस बात को तरजीह नहीं दी कि वह भी दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाए। इतना ही नहीं बीजेपी में कोई जनाधार वाला दलित नेता भी नहीं है।
खैर,उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में कांग्रेस दलित वोटरों को रिझाने के लिए पंजाब के सीएम को अपना सियासी चेहरा भी बना सकती है। इसी चिंता में डूबी बीजेपी जल्द ही बदली राजनीति पर चर्चा करने जा रही है।आलाकमान भी इसी को लेकर चिंतित है। इसी लिए 22 सितंबर से 24 सितंबर तक यूपी चुनाव के प्रभारी लखनऊ में डेरा डालने जा रहे हैं। बहरहाल, सत्ता की रेस में कौन कहां खड़ा है यह बात दावे से कोई नहीं कह सकता है, लेकिन बात चुनाव तैयारियों की कि जाए तो फिलहाल भारतीय जनता पार्टी इस मामले में सबसे आगे नजर आ रही है।अन्य दलों के नेताओं की तरह बीजेपी बयानबाजी तक ही सीमित नहीं है। बीजेपी में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक मंथन का दौर चल रहा है। एक-एक विधान सभा सीट का जातीय गणित खंगाला जा रहा है तो पता इस बात का भी लगाया जा रहा है कि पिछले साढ़े चार साल में बीजेपी के विधायकों ने अपने क्षेत्र में कितना काम किया और क्या मौजूदा विधायक पुनः जनता का विश्वास हासिल कर भी पाएंगे या नहीं। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के ऐसे विधायकों की संख्या अच्छी खासी है जिनसे मतदाता काफी नाराज चल रहे हैं। खासकर कोरोना काल में जिस तरह से बीजेपी के कुछ विधायक जनता से दूरी बनाकर कथित रूप से ‘आइसोलेशन’ में चले गए थे,विधान सभा चुनाव में उसका भी नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है। इसी को ध्यान में रखकर बीजेपी कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटने का भी मन बना चुकी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी आलाकमान ने करीब 25 फीसदी विधायकों का टिकट काटने का मन बना लिया है। ताकि विधायकों की जनता के प्रति लापरवाही का खामियाजा पार्टीै को नहीं भुगतना पड़े।
ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब तलाशने के लिए उत्तर प्रदेश के नवनिुयक्त चुनाव प्रभारी व केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह कल से यानी 22 से 24 सितंबर तक, लखनऊ में रूक कर चुनावी रणनीति पर मंथन करेंगे। इसके लिए चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान, सात सह प्रभारी, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और छह सह प्रभारियों की टीम 22 को लखनऊ आएगी। प्रदेश भाजपा ने प्रधान के नेतृत्व में चुनाव प्रभारियों की टीम के पहली बार लखनऊ आगमन पर सभी छह क्षेत्रों से लेकर प्रदेश स्तर तक की चुनावी तैयारी का खाका तैयार किया है।
गौरतलब हो, भाजपा आलाकमान ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए प्रधान को चुनाव प्रभारी, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, अर्जुनराम मेघवाल, शोभा करंदलाजे, अन्नपूर्णा देवी, राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय और विवेक ठाकुर एवं हरियाणा के पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को सह प्रभारी नियुक्त किया है। इसी प्रकार संगठन में भी पश्चिम क्षेत्र में लोकसभा सदस्य संजय भाटिया, बृज में बिहार के विधायक संजीव चौरसिया, अवध में राष्ट्रीय मंत्री वाय, सत्या कुमार, कानपुर में राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष सुधीर गुप्ता, गोरखपुर में राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन और काशी में सुनील ओझा को प्रभारी नियुक्त किया है।चुनाव प्रभारियों और संगठन प्रभारियों की टीम लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल सहित प्रदेश महामंत्रियों के साथ चुनावी तैयारी पर मंथन करेगी। 22 की शाम प्रदेश मुख्यालय में होने वाली बैठक के बाद 23 को धर्मेंद्र प्रधान गोरखपुर जाएंगे। इसके बाद 24 को लखनऊ में फिर संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। प्रधान और राधा मोहन सभी छह क्षेत्रों के क्षेत्रीय अध्यक्षों, प्रभारी महामंत्रियों के साथ क्षेत्र की जातीय स्थिति, राजनीतिक समीकरण, 2017 के चुनाव परिणाम, आगामी चुनाव में पार्टी की जीत की संभावना सहित अन्य मुद्दों पर बात करेंगे।