G-20 और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शरीक होने इटली और ब्रिटेन जाएंगे PM मोदी, वेटिकन में पोप फ्रांसिस से भी करेंगे मुलाकात

इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इटली और ब्रिटेन के दौरे पर जाएंगे. जी-20 शिखर सम्‍मेलन और जलवायु परिवर्तन को लेकर ब्रिटेन के ग्‍लासगो में आयोजित होने वाली उच्‍चस्‍तरीय बैठक में पीएम मोदी शामिल होंगे. ऐसा कहा जा रहा है कि इस बैठक से पहले प्रधानमंत्री वेटिकन में कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से मुलाकात करेंगे. हालांकि अभी तक कार्यक्रम के तारीख की आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30-31 अक्‍टूबर को होने वाली जी-20 शिखर सम्‍मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी 29 अक्‍टूबर को रोम पहुंच सकते हैं. जबकि 31 अक्‍टूबर को प्रधानमंत्री को जलवायु परिवर्तन की बैठक में शामिल होने के लिए ग्‍लासगो शहर पहुंचना है. इस बैठक में पहले प्रधानमंत्री पोप फ्रांसिस से मुलाकात कर सकते हैं.

भारत, चीन तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे: US

ग्लास्गो में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के पहले, अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के एक आकलन में कहा गया है कि भारत और चीन तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे. अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया परिषद ने बृहस्पतिवार को अपनी नयी आकलन रिपोर्ट में कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका है क्योंकि देश इस बारे में बहस कर रहे हैं कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने की प्रक्रिया कैसे तेज की जाए.

बहस इस पर केंद्रित रहेगी कि कौन ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने की अधिक जिम्मेदारी लेगा और हर्जाना भरेगा और कितनी तेजी से तथा देश कैसे संसाधनों को नियंत्रण में रखेंगे और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों पर असर डालेंगे. ग्लास्गो में 26वें यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी26) के मद्देनजर राष्ट्रीय खुफिया परिषद द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन और भारत तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के मामले में दुनिया के क्रमश: पहले और चौथे सबसे बड़े देश हैं तथा दोनों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बढ़ रहा है जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ क्रमश: दूसरे और तीसरे सबसे बड़े उत्सर्जक हैं तथा उनका उत्सर्जन कम हो रहा है.

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