‘शिक्षा प्राप्त करना लड़कियों का अधिकार’-तालिबान , UN ने दी 32 मिलियन डॉलर की मदद

वैश्विक मान्यता हासिल करने की चाहत में तालिबान (Taliban) दुनिया को ये दिखाना चाहता है कि वो बदल गया है. अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार का कहना है कि लड़कियों के स्कूलों को फिर से खोलना उसकी जिम्मेदारी है और वह ऐसा दुनिया के दबाव में आकर नहीं कर रहा. स्थानीय खामा प्रेस के अनुसार, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन (Deborah Lyons) के साथ बैठक के दौरान कार्यवाहक मंत्री मौली नूरुल्ला मुनीर (Maulaee Noorullah Muneer) ने ये बातें कही हैं.

मुनीर ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करना लड़कियों का अधिकार है और इसे मुहैया कराने की जिम्मेदारी तालिबान सरकार की है. तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि मार्च में शुरू होने वाले अगले शैक्षणिक वर्ष में लड़कियों के लिए उच्चतम विद्यालय और लड़कों और लड़कियों के लिए सार्वजनिक विश्वविद्यालय फिर से खोले जाएंगे (Girls University Afghanistan). अफगानिस्तान पर तालिबान ने पिछले साल अगस्त में कब्जा किया था. उसके बाद से ही लड़के और लड़कियों के करीब 150 विश्वविद्यालय बंद हैं और लड़कियों के सभी निजी उच्चतम विद्यालय भी बंद पड़े हैं.

एक ही क्लास में नहीं करेंगे पढ़ाई

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में तालिबान के शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने कहा था कि देशभर में लड़के और लड़कियों के जितने भी विश्वविद्यालय हैं, सभी को दोबारा खोला जाएगा (Girls Education Afghanistan). लेकिन लड़के और लड़कियों की कक्षा अलग-अलग होंगी. यानी वो साथ में एक ही क्लास में पढ़ाई नहीं कर सकेंगे. हालांकि उसने इन्हें खोले जाने की तारीख नहीं बताई थी. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान को 32 मिलियन डॉलर की मानवीय मदद दी है. ये मदद अफगानिस्तान इंटरनेशनल बैंक (एआईबी) को दी.

यूएन ने एआईबी को दी मदद

अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक- द अफगानिस्तान बैंक- का कहना है कि यूएन मदद दे रहा हैं और उसे 32 मिलियन डॉलर का कैश मिला है (UN Help to Afghanistan). बैंक ने एक बयान में कहा कि ये पैसा अफगानिस्तान इंटरनेशनल बैंक (एआईबी) को दिया गया है. बयान के मुताबिक, वह उन सभी मानवीय सहायता वाले प्रयासों का स्वागत करते हैं, जो जरूरतमंदों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं. तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था और इसके बाद से देश गहराते आर्थिक, मानवीय और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है.

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