परिवारवादी सरकारें लोकतंत्र की दुश्मन हैं- पीएम मोदी

नई दिल्ली। भाजपा के 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज नवरात्रि की पांचवीं तिथि भी है। आज के दिन हम मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं। मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं और अपने दोनों हाथों में कमल थामे रहती हैं। मैं देश और दुनिया भर में फैले भाजपा के प्रत्येक सदस्य को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। कश्मीर से कन्याकुमारी, कच्छ से कोहिमा तक भाजपा एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संकल्प को निरंतर सशक्त कर रही है।

आजादी के अमृतकाल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने तुष्टिकरण को खत्म करने की बात कही। पीएम मोदी ने कहा कि देश में अभी दो तरह की राजनीति चल रही है- एक परिवार भक्ति की और दूसरी है देश भक्ति की। देश में कुछ राजनीतिक दल हैं जो अपने परिवारवालों के लिए काम कर रहे हैं। बीजेपी ने ही परिवारवाद के खिलाफ बोलना शुरू किया और इसे चुनावी मुद्दा बनाया। लोगों को समझ आ गया है कि परिवारवादी सरकारों लोकतंत्र की दुश्मन हैं और संविधान को कुछ नहीं समझती। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में दशकों तक कुछ राजनीतिक दलों ने वोट बैंक की राजनीति की। कुछ लोगों को ही फायदे करो, ज्यादातर लोगों को तरसा कर रखो।

पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारी सरकार राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए काम कर रही है। आज देश के पास नीतियाँ भी हैं, नियत भी है। आज देश के पास निर्णयशक्ति भी है, और निश्चयशक्ति भी है। इसलिए आज हम लक्ष्य तय कर रहे हैं, उन्हें पूरा भी कर रहे हैं। आज दुनिया के सामने एक ऐसा भारत है जो बिना किसी डर या दबाव के, अपने हितों के लिए अडिग रहता है। जब पूरी दुनिया दो विरोधी ध्रुवों में बंटी हो, तब भारत को ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है, जो दृढ़ता के साथ मानवता की बात कर सकता है।’

पीएम मोदी ने कहा कि स बार का स्थापना दिवस 3 और वजहों से महत्वपूर्ण हो गया है। पहला कारण है कि इस समय हम देश की आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। ये प्रेरणा का बहुत बड़ा अवसर है। दूसरा कारण है- तेजी से बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियां, बदलता हुआ ग्लोबल ऑर्डर। इसमें भारत के लिए लगातार नई संभावनाएं बन रही हैं। तीसरा कारण भी उतना ही अहम है। कुछ सप्ताह पहले चार राज्यों में भाजपा की डबल इंजन की सरकारें वापस लौटी हैं। तीन दशकों के बाद राज्यसभा में किसी पार्टी के सदस्यों की संख्या 100 तक पहुंची है।

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