अब उद्धव ठाकरे के राजनीतिक अस्तित्व पर ही संकट? एकनाथ शिंदे से मिले शिवसेना के 15 सांसद
महाराष्ट्र की सत्ता गंवा चुके उद्धव ठाकरे के सामने अब राजनीतिक अस्तित्व बचाने की ही चुनौती खड़ी हो गई है। शिवसेना के 55 विधायक एकनाथ शिंदे गुट के समर्थन में हैं और महज 15 ही उद्धव ठाकरे के साथ हैं। अब खबर है कि 15 सांसद भी एकनाथ शिंदे के साथ जा सकते हैं। बुधवार देर रात इन लोगों ने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की है। कहा जा रहा है कि यह मीटिंग राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में हुई थी। लेकिन उद्धव ठाकरे के मुश्किल वक्त में इस मीटिंग ने कयास तेज कर दिए हैं क्या 19 लोकसभा सांसदों में से 15 उन्हें छोड़ सकते हैं। इनमें से एक सांसद श्रीकांत शिंदे भी हैं, जो सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे हैं। इसके अलावा बागी सांसद भावना गवली को पहले ही शिवसेना संसदीय दल के चीफ व्हिप के पद से हटा चुकी है।बीएमसी चुनाव में कुछ ही वक्त बचा है और उससे पहले लग रहे झटकों ने उद्धव ठाकरे की चुनौती बढ़ा दी है। ठाणे के 67 में से 66 शिवसेना पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य जिलों में भी संगठन में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बुधवार रात शिंदे के आवास पर हुई बैठक में शिवसेना के 19 में से 4 सांसदों को छोड़कर 15 अन्य मौजूद थे। अगर ये सांसद भी एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हैं तो उद्धव ठाकरे का आने वाला राजनीतिक सफर और भी मुश्किल होगा। बता दें कि सांसदों के दबाव में ही शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया था।
कभी मातोश्री का आदेश था सर्वोपरि, अब अस्तित्व का संकट
खबर थी कि इन सांसदों की ओर से उद्धव ठाकरे पर दबाव बनाया जा रहा था कि वे भाजपा के साथ सरकार में शामिल होने पर सहमति दें। संभव है कि इसी मसले को लेकर इन सांसदों ने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की हो। शिवसेना सदस्य ‘मातोश्री’ यानी ठाकरे परिवार के आदेश को अंतिम मानते रहे हैं। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की पकड़ इसकी मिसाल थी, लेकिन उद्धव ठाकरे से एकनाथ शिंदे की बगावत ने तस्वीर उलट दी है। उन्होंने उद्धव ठाकरे को सीधी चुनौती दी है और दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को साथ लेकर बताया है कि वह कितने मजबूत हो चुके हैं।
शिवसेना पर मजबूत हो जाएगा एकनाथ गुट का दावा
एकनाथ शिंदे गुट की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि हमारी शिवसेना ही असली शिवसेना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर विधायकों के बाद सांसद भी शिंदे गुट में शामिल हो जाएं तो उद्धव ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व हिल सकता है। उद्धव ठाकरे जहां पिछले ढाई साल से बीजेपी की आलोचना कर रहे हैं, वहीं बागी शिंदे गुट बीजेपी की मदद से राज्य में सत्ता में आया है।