मंकीपॉक्स का कोहराम, अमेरिका ने घोषित की पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी
मंकीपॉक्स के संक्रमण से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है, लेकिन अमेरिका की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अब अमेरिका ने मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। ऐसा करके अमेरिका अब इसके रोकथाम के लिए और ज्यादा कर्मियों की तैनाती करेगा और फंड फी इकट्ठा करेगा। साथ ही पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित होने से अमेरिका के लोगों को इस बीमारी की गंभीरता का भी एहसास होगा।अमेरिका ने फिलहाल इसे 90 दिनों के लिए लागू किया है। इस वक्त अमेरिका में कुल 6,600 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। जबकि मंकीपॉक्स से बचने के लिए दिए जा रहे JYNNEOS वैक्सीन की बात करें तो अमेरिका ने अब तक अपने लोगों को इस वैक्सीन की 600000 खुराक दे दी है। हालांकि, अमेरिका की 1.6 मिलियन की आबादी को देखें तो वैक्सीनेशन की ये खुराक अभी बेहद कम नजर आती है।
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को रोकने के लिए चेचक के टीके के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय द्वारा अनुमोदित चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ 85 प्रतिशत प्रभावी माना जाता है। जापान में जुलाई के अंत में 30 साल के ऊपर के 2 पुरुष मंकीपॉक्स से पीड़ित पाए गए हैं। इन दोनों ने ही विदेश यात्रा की थी जिसके बाद सरकार बीमारी के प्रसार को रोकने को लेकर सतर्क हो गई है।
जापान के विदेश मंत्रालय ने जिस टीके को मंजूरी दी है उसका नाम LC16 KMB (एलसी16 केएमबी) है। यह एक फ्रीज ड्राइड, सेल कल्चर डिराइव्ड वैक्सीन है जो कि चेचक की रोकथाम में काम आती है। साथ ही मंकीपॉक्स के इलाज के लिए टेकोविरिमैट (Tecovirimat) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ये दवाएं मंकीपॉक्स के इलाज में प्रभावी मानी जा रही हैं। बता दें कि दुनिया में मंकीपॉक्स के प्रसार को देखते हुए WHO ने हाल ही में इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
दुनिया में मंकीपॉक्स के कितने मामले?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार तक दिया में मंकीपॉक्स के पुष्ट मामलों की संख्या 25 हजार के आंकड़े को पार कर चुकी थी। यह बीमारी इस साल यूरोप में सबसे पहले सामने आई थी और उसके बाद कई देशों में यह तेजी से फैली है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोप से शुरू होकर यह बीमारी अब तक दुनिया के 83 देशों में फैल चुकी है। राहत की बात सिर्फ इतनी सी है कि यह कोरोना वायरस की तरह संक्रामक नहीं है और सही इलाज से 2-4 हफ्ते के अंदर ठीक हो जाती है। हालांकि इसके कई गंभीर मामले भी देखने को मिले हैं जिनमें मरीजों की मौत तक हुई है।