नीतीश-तेजस्वी ने सरकार बनाने का दावा किया पेश, बुधवार को होगा शपथग्रहण समारोह
बिहार की राजनीति के लिए मंगलवार का दिन काफी अहम रहा क्योंकि नीतीश कुमार ने एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया और फिर राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ मिलकर राज्यपाल फागू चौहान के समक्ष नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। वहीं जदयू की गठबंधन सहयोगी रही भाजपा ने नीतीश कुमार पर धोखा देने का आरोप लगाया है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार 2020 का चुनाव नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जीते थे या नहीं ? जब नरेंद्र मोदी के नाम पर जीते थे तो आज बिहार के लोगों के समर्थन का अपमान किया है… ये क्या बात है ? अगर आपको भाजपा परेशान कर रही थी तो 2 साल से रूके हुए क्यों थे।
बिहार में बनेगी नई सरकार
राज्यपाल से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि मैं यहां राज्यपाल से मिलने आया और अपना इस्तीफा दे दिया। महागठबंधन में 7 पार्टियों के निर्दलीय समेत 164 विधायक हैं। जबकि तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा का कोई गठबंधन सहयोगी नहीं है, इतिहास बताता है कि भाजपा उन दलों को नष्ट कर देती है जिनके साथ वह गठबंधन करती है। हमने देखा कि पंजाब और महाराष्ट्र में क्या हुआ।
उन्होंने कहा कि बिहार में जो भी हो रहा था वो किसी से छुपा नहीं था। जनता विकल्प चाहती है, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला। नीतीश कुमार ने अपना काम किया, इन्होंने नरेंद्र मोदी के सामने ये मांग रखी लेकिन इनकी मांग को नहीं माना गया।
इसी बीच जानकारी सामने आई कि बुधवार को 4 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा। जिसमें नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
भाजपा कोर समूह की बैठक
मौजूदा हालातों को देखते हुए भाजपा ने कोर समूह की बैठक बुलाई है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्रियों, पूर्व प्रदेश अध्यक्षों और अन्य वरिष्ठ नेताओं के भाग लेने की संभावना है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय राजधानी से पटना रवाना हो गए हैं।
पशुपति पारस ने नहीं छोड़ा भाजपा का साथ
बिहार के तेजी से बदलते समीकरण के बीच राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना विश्वास जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ रहेगी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा दूसरा नेता मिलना नामुमकिन है।
सत्ता परिवर्तन के पहले से मिल रहे थे संकेत
बिहार में जदयू ने जल्दबाजी में भाजपा का साथ छोड़कर राजद का हाथ नहीं थामा है। बल्कि इसके लिए पार्टी ने काफी समय लिया है और इस बात के संकेत इसी साल 22 अप्रैल को पटना स्थित राबड़ी देवी के आवास पर हुई इफ्तार पार्टी से मिलना शुरू हो गए थे। जब नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप की एक साथ तस्वीर सामने आई थी। इसके बाद कई तरह के कयास भी लगाए गए थे।
इसके बाद जून में हुआ विधानसभा सत्र काफी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। इस सत्र में तेजस्वी यादव और राजद नेताओं ने नीतीश कुमार के विरोध में कोई भी बात नहीं कही थी। जबकि पिछले सत्रों को देखा जाए तो जमकर हो हल्ला हो चुका था। इसी कड़ी में आगे बढ़ें तो पाएंगे कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की तबीयत बिगड़ी तो नीतीश कुमार ने उन्हें दिल्ली भेजने को प्रबंध किया था और मिलने भी गए थे। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि सत्ता परिवर्तन सिर्फ एक दिन में हो गया।