राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जाएंगी लंदन, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में होंगी शामिल
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यूनाइटेड किंगडम जाएंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 17-19 सितंबर 2022 को भारत सरकार की ओर से संवेदना व्यक्त करने के लिए लंदन जाएंगी। महारानी का अंतिम संस्कार 19 सितंबर को वेस्टमिंस्टर एब्बे में होगा। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में सैकड़ों राष्ट्राध्यक्षों के शामिल होने की उम्मीद है। ब्रिटेन में इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी लंदन आएंगे।
शरीर चार दिनों के लिए वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा जाएगा
अंतिम संस्कार से पहले महारानी का शरीर चार दिनों के लिए वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा जाएगा, ताकि लोग उनके अंतिम दर्शन करके उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार शाम को स्कॉटलैंड से लंदन पहुंचा। उनके ताबूत को अंतिम रात बकिंघम पैलेस में रखा जाएगा। महारानी के ताबूत को बुधवार से चार दिन के लिए वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा जाएगा और सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। महारानी का गत गुरुवार को 96 साल की उम्र में बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया था। वह 70 साल से ब्रिटेन में शासन कर रही थीं।
महारानी के ताबूत के साथ उनकी बेटी प्रिसेंस एनी भी थीं
महारानी का ताबूत जब लंदन के लिए एडिनबरा हवाई अड्डे से भेजा गया, तब वहां पर राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। महारानी के ताबूत के साथ उनकी बेटी प्रिसेंस एनी भी थीं, जो रॉयल एयरफोर्स (आरएएफ)के विमान से एडिनबरा से लंदन साथ आई हैं। महारानी के ताबूत को जिस विमान से लाया गया है उसका इस्तेमाल पूर्व में मानवीय सहायता में किया जाता रहा है।
महारानी के ताबूत को बकिंघम पैलेस ले जाया गया
आरएएफ के पश्चिमी लंदन स्थित नार्थहॉल्ट हवाई ठिकाने पर विमान के उतरते ही महारानी के ताबूत को सड़क मार्ग से मध्य लंदन स्थित बकिंघम पैलेस के लिए ले जाया गया। महाराजा चार्ल्स तृतीय जो मंगलवार को उत्तरी आयरलैंड की यात्रा पर थे ताबूत की आगवानी करने के लिए पहले ही अपनी पत्नी कैमिला के साथ शाही आवास पर पहुंच चुके थे। ताबूत लंदन पहुंचने और बकिंघम पैलेस भेजे जाने से पहले आरएएफ की तरफ से सलामी गारद दी गई।