नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। बता दें मां स्कंदमाता की कृपा से संतानप्राप्ति का सुख मिलता है। इन्हें पद्मासनादेवी भी कहते हैं। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा।
स्कंदमाता की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों ही संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।
नवरात्र की पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त
- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आरंभ- सुबह 12 बजकर 10 मिनट से शुरू
- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त- रात 10 बजकर 34 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
- राहुकाल- सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक
नि:संतान जरूर करें ये व्रत
ऐसी मान्यता है कि नि:संतान को ये व्रत करने से माता आर्शीवाद जरूर मिलता है। इस दिन पीले रंग के कपड़े जरूर पहनना चाहिए।
मां स्कंदमाता पूजा विधि
- नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान आदि से निवृत होकर, पीले रंगे के कपड़े पहनकर स्कंदमाता का स्मरण करें।
- इसके बाद स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं।
- ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं।
- मां को बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किशमिश, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि चढ़ाएं।
- स्कंदमाता की आरती करें।
मां स्कंदमाता मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।