मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद से हटे, सोनिया गांधी को सौंपा इस्तीफा
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे अब राज्यसभा में नेता विपक्ष नहीं रहेंगे. मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद से सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस में ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के तहत खड़गे ने यह इस्तीफा दिया है. खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अभी सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. उनका सीधा मुकाबला शशि थरूर से होगा.
वहीं, राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद से खड़गे के इस्तीफे के बाद लिए पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह का नाम रेस में आगे माना जा रहा है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की चुनौती ये है की कांग्रेस अध्यक्ष पद और राज्यसभा में विपक्ष का नेता दोनों दक्षिण से होने पर कांग्रेस के लिए उत्तर और दक्षिण में संतुलन स्थापित करना मुश्किल होगा, इसलिए विपक्ष के नेता का पद उत्तर भारत के नेता को दिया जा सकता है और ऐसे में दिग्विजय सिंह विपक्ष का नेता बन सकते हैं.
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के अलावा, के. एन. त्रिपाठी भी हैं. तीनों नेताओं ने शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल किए और कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता खड़गे स्पष्ट रूप से पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर उभरे हैं. वहीं, मैदान में उतरे तीसरे उम्मीदवार के. एन त्रिपाठी झारखंड के पूर्व मंत्री हैं.
80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ नामांकन पत्रों के 14 सेट जमा किये. उनके प्रस्तावकों में अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, ए के एंटनी, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक शामिल हैं. इसके अलावा उनके प्रस्तावकों में आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी और भूपेंद्र हुड्डा जैसे नेता भी हैं जो पार्टी में बदलाव की मांग उठाने वाले नेताओं के समूह जी-23 में शामिल हैं.
शशि थरूर स्वयं जी-23 में शामिल रहे हैं. उन्होंने नामांकन पत्रों के पांच सेट दाखिल किये, वहीं झारखंड के पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के समक्ष नामांकन पत्र का एक सेट दाखिल किया. कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में खड़गे पसंदीदा उम्मीदवार माने जा रहे हैं और यहां एआईसीसी मुख्यालय में उनके नामांकन पत्र दाखिल करते समय पार्टी के अनेक नेता साथ थे.