पाकिस्तान जो आतंकवादियों को शरण देता है और सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है- प्रतीक माथुर
भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पाकिस्तान के खिलाफ अपने ‘जवाब के अधिकार’ का इस्तेमाल किया और इस्लामाबाद को आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने वाले देश के रूप में इसके ट्रैक रिकॉर्ड को देखने की सलाह दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के ग्यारहवें आपातकालीन विशेष सत्र में भारतीय काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा कि पाकिस्तान को केवल खुद को और अपने पिछले कार्यों के रिकॉर्ड को एक देश के रूप में देखना है, जो आतंकवादियों को शरण देता है और सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है और ऐसा वह बेखौफ होकर करता है। इसके लिए उसे दंडित भी नहीं किया जाता है।
उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को जवाब देने के अधिकार का उल्लेख करने की भी सलाह दी, जिसका उपयोग भारत ने अतीत में किया है। माथुर ने कहा कि मैं यह कहने के लिए इस मंच का इस्तेमाल कर रहा हूं कि भारत ने इस बार पाकिस्तान के शरारती उकसावे का जवाब नहीं देने का विकल्प चुना है। पाकिस्तान के प्रतिनिधि को हमारी सलाह है कि वे उन अधिकारों के रिकॉर्डों के संदर्भ को देखें, जो हमने अतीत में प्रयोग किए हैं।
माथुर ने पाकिस्तान के अनावश्यक उकसावे को ‘अफसोसजनक’ बताते हुए कहा कि दो दिनों की गहन चर्चा के बाद संयुक्त राष्ट्र में मौजूद सभी सदस्य इस बात पर सहमत हुए हैं कि संघर्ष और कलह को हल करने के लिए शांति का मार्ग ही एकमात्र रास्ता हो सकता है।
बता दें कि भारत में सबसे वांछित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की को जनवरी में वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। भारत ने 2021-22 के दौरान अपने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यकाल की सर्वोच्च प्राथमिकता में पाक स्थित आतंकवादियों की सूची बनाई थी। इस सूची में कुल पांच नाम थे। इनमें अब्दुल रहमान मक्की (एलईटी), अब्दुल रऊफ असगर (जेईएम), साजिद मीर (एलईटी), शाहिद महमूद (एलईटी) और तल्हा सईद (एलईटी) शामिल था, जिसे 2022 में 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
इन पांच नामों में से प्रत्येक को शुरुआत में यूएन के स्थायी सदस्य देश चीन द्वारा तकनीकी तौर पर रोक लगा दिया गया था जबकि परिषद के अन्य सभी 14 सदस्य उनके नाम सूची में शामलि करने के लिए सहमत हुए थे। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, 2020 में एक पाकिस्तानी आतंकवाद-रोधी अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में मक्की को दोषी ठहराया था और उसे जेल की सजा सुनाई थी।