52 साल से मेरे पास घर नहीं: राहुल

Raipur:  कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रायपुर में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बारे में जमकर अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा में 10-15 दिन चलने से घमंड गायब हो गया। इस यात्रा से बहुत कुछ सीखने को मिला। मैंने किसानों का दर्द समझा। उन्होंने कहा कि पंजाब में यात्रा के दौरान मैं एक मैकेनिक से मिला। मैंने उसका हाथ जैसे ही पकड़ा, उसकी बात समझ ली। जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे, लेकिन जो लोगों का दर्द था, एक सेकेंड में मैं समझ जाता था, और जो मैं कहना चाहता था, वो एक मिनट में समझ जाता था।

उन्होंने कहा कि मैं जम्मू कश्मीर में था, जब नाव चला रहा था, मुझे दर्द था, लेकिन मैं मुस्करा रहा था। लेकिन मेरा दिल रो रहा था। यात्रा के पहले दस दिनों में मेरा अहंकार खत्म हो गया, क्योंकि भारत माता ने मुझे मैसेज दिया कि हिम्मत है तो चलो, नहीं तो छोड़ दो।

उन्होंने कहा कि 1977 में जब चुनाव था, एक दिन घर में अजब माहौल था, मैंने पूछा कि क्या हुआ, मां ने कहा कि हम घर छोड़ रहे हैं। तब मेरी मां ने कहा कि यह हमारा नहीं, सरकार का घर है। मैंने पूछा कहां जाना है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि कहां जाना है। मैं हैरान हो गया। मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था। 52 साल हो गए मेरे पास, आज तक घर नहीं है। मेरे परिवार का एक घर है इलाहाबाद में, लेकिन वो भी हमारा घर नहीं है। 12 तुगलक लेन में मैं रहता हूं, लेकिन वो मेरा घर नहीं है।

राहुल ने कहा, ‘इस देश की महिलाओं ने इस देश के बारे में मुझसे क्या कहा, मैं आपको बता नहीं सकता। एक महिला यात्रा के दौरान आई, मैंने उसका हाथ पकड़ा, जैसे मैं प्रियंका का पकड़ता हूं। मेरे मन में आया, मैं यह क्या कर रहा हूं, अपनी बहन का प्यार इस महिला से कर रहा हूं। उस महिला ने कहा की उसका पति उसे पीटता है।’

राहुल ने कहा, ‘एक लड़का मुझसे मिलने आया कश्मीर में, उसने कहा कि जब कश्मीरी लोगों को दर्द होता है तो भारत के लोग खुश क्यों होते है। मैंने कहा कि यह गलत है, करोड़ों लोग ऐसा नहीं सोचते।’

राहुल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री पार्लियामेंट में आते हैं और कहते हैं कि मैंने भी लाल चौक में जाकर तिरंगा फहराया था। मैं सुन रहा था। मैंने सोचा कि देखिए, हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री के दिमाग में बात समझ में नहीं आई। पीएम मोदी ने बीजेपी के 15-20 लोगों के साथ जाकर लाल चौक में जाकर तिरंगा फहराया, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा ने लाखों कश्मीरी युवाओं के हाथ से तिरंगा फहराया। प्रधानमंत्री को फर्क नहीं समझ आया। हमने हिंदुस्तान की भावना, इस झंडे की भावना जम्मू कश्मीर के युवाओं के अंदर डाल दी। आपने अपने झंडे की भावना जम्मू कश्मीर के युवाओं से छीन ली। ये फर्क है हममें और आपमें।’

राहुल ने कहा, ‘ये जो झंडा है, ये जो तिरंगा है, ये दिल की भावना है, ये दिल के अंदर से आती है। हमने इस भावना को जम्मू कश्मीर के युवाओं के दिल के अंदर जगाया। हमने नहीं कहा कि भैया तिरंगा लहराना है, नहीं वो अपने आप आए और तिरंगा हाथ में उठाकर चले।’

राहुल ने कहा, ‘सरकार की सोच के बारे में आज बताना चाहता हूं। कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में एक मंत्री ने कहा कि चाइना की इकॉनोमी हिंदुस्तान की इकॉनोमी से बड़ी है तो हम इनसे कैसे लड़ सकते हैं। जब अंग्रेज हमपर राज करते थे तो क्या उनकी इकॉनोमी हमारी इकॉनोमी से छोटी थी। मतलब जो आपसे शक्तिमान है, उससे लड़ो ही मत, जो आपसे कमजोर है उसी से लड़ो, इसको कायरता कहा जाता है। इसको क्या देशभक्त कहते हैं क्या। ये कौन सी देशभक्ति है। जो आपसे कमजोर है उसको मारो और जो आपसे मजबूत है उसके सामने झुक जाओ। शब्द है इसके लिए। महात्मा गांधी कहते थे। सत्याग्रह की बात करते थे। मतलब सत्य के रास्ते को कभी मत छोड़ो। बीजेपी-RSS के लिए नया शब्द है सत्ताग्राही। ये किसी के सामने भी झुक जाएंगे सत्ता के लिए। ये इनकी सच्चाई है।’

राहुल ने कहा, ‘एक और बात समझ नहीं आई। पार्लियामेंट में अडानी जी पर सवाल किया। मैंने पूछा कि अडानी जी 609 नंबर से दूसरे नंबर पर कैसे आए। आपकी जो फॉरेन पॉलिसी बनती है, सब जगह उनको फायदा मिलता है। मैंने सिर्फ मोदी जी से पूछा कि बता दो कि रिश्ता क्या है। अब आपने नोटिस किया होगा कि पूरी के पूरी सरकार, सारे मंत्री अडानी जी की रक्षा करने लग गए। कहते हैं जो अडानी जी पर आक्रमण करता है वो देशद्रोही है। मतलब अडानी जी सबसे बड़े देशभक्त बन गए और बीजेपी-RSS इस व्यक्ति की रक्षा कर रही है। क्या है इस अडानी में कि बीजेपी को सब मंत्रियों को इस व्यक्ति की रक्षा करनी पड़ रही है।’

राहुल ने कहा, ‘आजादी की लड़ाई भी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ थी, वो भी एक कंपनी थी, इतिहास रिपीट हो रहा है, यह देश के खिलाफ काम हो रहा है, और ऐसा होगा तो कांग्रेस इसके खिलाफ खड़ी होगी। यह पार्टी तपस्वियों की है पुजारियों की नहीं, तपस्या भंग नहीं होनी चाहिए, तपस्या का प्रोग्राम होना चाहिए। उस प्रोग्राम में दर्द होना चाहिए। तपस्या का प्रोग्राम बनाइए, हम सब मिलकर तपस्या में शामिल होंगे, जैसे हम तपस्या में खड़े होंगे, पूरा देश हमारे साथ खड़ा हो जाएगा। यह देश तपस्वियों का है।’

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