सिसोदिया की जमानत याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई

New Delhi: आबकारी नीति घोटाले मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. स्पेशल जज एमके नागपाल की कोर्ट में सिसोदिया की ओर से उनके वकील दयान कृष्णन ने और सीबीआई की ओर से डीपी सिंह ने अपनी दलीले पेश की. ढाई घंटे चली बहस के बाद कोर्ट ने अलगी सुनवाई 24 मार्च को दो बजे करने का फैसला लिया. साथ ही कोर्ट ने सिसोदिया और सीबीआई के वकीलों से लिखित दलील जमा करने को कहा है. आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार  होनी है.

स्पेशल जज एमके नागपाल की कोर्ट में सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने जमानत अर्जी को लेकर कहा कि हिरासत में पूछताछ हो चुकी है. सभी शर्तें अब नहीं रह गई हैं. हम उस अवस्था को पार कर चुके हैं. वकील कृष्णन ने आगे कहा कि मेरा सम्मानपूर्वक निवेदन है कि अभी तक कुछ भी असाधारण नहीं निकला है. जिससे आरोपी को लगातार हिरासत में रखा जाए. यह दर्शाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि मैं गवाहों को प्रभावित करूंगा. पिछले साल अगस्त में मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच एजेंसी सीबीआई की अरेस्टिंग में भी ऐसा कोई आधार या संभावना नहीं थी कि सिसोदिया गवाहों को प्रभावित करेंगे.

उधर, वकील दयान कृष्णन ने मनीष सिसोदिया की पत्नी के स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक अपक्षयी बीमारी से पीड़ित है. प्रार्थी के विरुद्ध आरोप है कि अभियुक्त ने नीति में हेराफेरी की. रिश्वत लेने का कोई दस्तावेजी सबूत या आरोप नहीं है. इन आरोपों की सत्यता का परीक्षण ट्रायल में किया जाएगा. सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने यह भी कहा कि सरकार की नीति से आपराधिक इरादे को नहीं समझा जा सकता है. मैंने कहा है कि इसे उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना के सामने रखा गया था. एलजी और कानून सचिव की मुहर लग चुकी है.

वकील दयान कृष्णन ने आगे कहा कि प्रॉफिट मार्जिन और टेंडर योग्यता का मुद्दा एलजी, कानून सचिव और वित्त सचिव के सामने बिना किसी प्रतिकूल टिप्पणी के गया. यह बात हाईकोर्ट भी गई है. मैंने उन आदेशों को रिकॉर्ड में भी रखा है. कृषणन ने यह भी कहा कि इस मामले में ट्रायल के जल्द शुरू होने या समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है. मैं इस मामले में हिरासत में एकमात्र आरोपी हूं. इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे सीबीआई मामले में जमानत दें.

‘सिसोदिया के विदेश भागने का रिस्क नहीं लेना चाहती CBI’

जांच एजेंसी का कहना था कि फोन तोड़े गए. वे(सिसोदिया) कह रहे हैं कि जिस दिन मामला सीबीआई को जांच के लिए भेजा गया था, उस दिन मैंने(सिसोदिया) अपना फोन बदल दिया था. मेरे सबमिशन में, यह तर्क को बढ़ा रहा है. सिसोदिया की भारत में गहरी जड़ें हैं. उनके विदेश भागने का रिस्क नहीं लेना है.

सिसोदिया के पास 18 मंत्रालय कैसे

वहीं, सीबीआई की ओर से पेश डीपी सिंह ने कहा कि मैं चीजों को परिप्रेक्ष्य में रखता हूं. हम जिस व्यक्ति के बारे में बात कर रहे हैं वह ( मनीष सिसोदिया) 18 मंत्रालय संभाल रहे है. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है, जो वित्त मंत्रालय संभालता है. वहीं शराब नीति भी संभाले. आगे कहा कि इन्होंने रिपोर्ट मांगी, रिपोर्ट रवि धवन ने बनाई है. एक साधारण आदमी के रूप में उन्हें या तो इसे स्वीकार करना चाहिए था या इसे अस्वीकार कर देना चाहिए था.

अधिकारी ने तीन मॉडलों के बारे में विस्तार से बताया. एक जो अस्तित्व में था, दूसरा व्यक्तियों को लाइसेंस प्राप्त करने दें और तीसरा कि अगर आप निजीकरण करना चाहते हैं, तो आप सरकार के नियंत्रण को कम कर सकते हैं. लेकिन आप इसे खत्म नहीं कर सकते. यह मंत्री को अच्छा नहीं लगा तो मंत्री ने उसे हटा दिया और एक राहुल सिंह को ले आए. मंत्री ने सिंह से एक नोट लगाने को कहा. उन्होंने कहा कि धवन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करें.

वहीं, डीपी सिंह ने कहा कि जब यह बात कैबिनेट के सामने आई तो मनीष सिसोदिया फिर अधिकारी पर भड़क गए. उन्होंने उसे बुलाया जो वह एक लोक सेवक से कह सकते थे. उन्होंने हटाने की मांग की. हो सकता है कि भागने का जोखिम न हो, लेकिन वह ऐसे व्यक्ति हैं जो सबूतों को नष्ट कर सकता है. गवाहों को भी खतरा है.

मोबाइल ही नहीं फाइलें भी नष्ट की गईं

डीपी सिंह ने कहा कि किसी भी मीटिंग की मिनट नहीं है. पूरी फाइल ही गायब है. अधिकारी को फिर से बदल दिया गया है और नए अधिकारी संजय गोयल हैं. एक अन्य रिपोर्ट तैयार की गई है और धवन और सिंह के बीच क्या हुआ इसका कोई संदर्भ नहीं है. डीपी सिंह ने यह भी कहा कि अधिकारी के कार्यभार ग्रहण करते ही, कानूनी राय के संदर्भ के बिना एक नई रिपोर्ट तैयार की जाती है. कृपया मंशा देखें. 4 वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो ये सारी बातें विस्तार से बता रहे हैं. मोबाइल ही नहीं फाइलें भी नष्ट की गईं. जब यह सब सामने आया, तो एक्स पोस्ट फैक्टो अप्रूवल की भी कोशिश की गई.

सिसोदिया का कहना है कि उन्होंने फोन इसलिए नष्ट कर दिए, क्योंकि वह अपग्रेड करना चाहते थे. कोई उन्नयन नहीं किया गया था. वह एप्पल फोन इस्तेमाल कर रहे थे, तीन महीने में यह पुराना हो जाएगा? वह चैट को नष्ट करना चाहते थे, एक व्यक्ति तब तक संत होता है जब तक उसकी अनियमितताओं का पता नहीं चलता.

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