इतिहास रचने से चूके भारत के प्रज्ञानंद, चेस वर्ल्ड कप के फाइनल में मैग्नस कार्लसन ने हराया

फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला भारतीय चेस के ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंद और मैग्नस कार्लसन के बीच खेला गया। इस मुकाबले में भारत के प्रज्ञानानंद को हार का सामना करना पड़ा है। इसी के साथ 18 साल के इस खिलाड़ी का सपना भी टूट गया। मंगलवार को इस मुकाबले की पहली बाजी खेली गई थी, जिसमें प्रज्ञानानंद ने दुनिया के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को बराबरी पर रोका दिया था। वहीं बुधवार को खेले गए दूसरे राउंड का खेल भी बराबरी पर खत्म हुआ था, लेकिन गुरुवार को खेले गए टाई ब्रेकर राउंड में प्रज्ञानानंद को हार का सामना करना पड़ा।

दो फॉर्मेट में तीन दिनों और चार बेहद तनावपूर्ण शतरंज के खेल के बाद, मैग्नस कार्लसन आखिरकार गुरुवार को अपने करियर में पहली बार FIDE वर्ल्ड कप जीतने में सफल रहे। फाइनल में भले ही भारत के प्रगनानंद को हार गए हो, लेकिन इससे पहले 18 वर्षीय इस युवा प्रतिभा ने उन्हें टाई-ब्रेकर तक खींच लिया था। जिसकी चर्चा हर तरफ की जा रही है। टाईब्रेकर के दूसरे गेम के बाद कार्लसन की जीत पक्की हो गई। दोनों खिलाड़ियों के बीच पहले गेम में 30 चाल चली गई, वहीं दूसरा गेम 10 चाल में ही खत्म हो गया। इन दोनों गेम को जीतकर कार्लसन ने यह मुकाबला जीता।

प्रज्ञानानंद ने बनाए कई कीर्तिमान

FIDE वर्ल्ड कप प्रज्ञानानंद के लिए काफी फायदेमंद रहा। उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में भी अपना स्थान पक्का कर लिया है। 18 साल के प्रज्ञानानंद वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी रहे। फाइनल में जगह बनाने के बाद, प्रगनानंदा दिग्गज बॉबी फिशर और कार्लसन के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।

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